चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीएसपी की अध्यक्ष मायावती पर उनके आपत्तिजनक बयानों के लिए कार्रवाई की है.
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हमारे देश के लोग बहुत गर्व से बार-बार एक बात कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. पूरी दुनिया भारत के लोकतंत्र की विशालता और समाज की विभिन्नता को देखकर आश्चर्य चकित हो जाती है. लेकिन हमारे देश में चुनाव के मौके पर भारत के राजनेता जिस तरह का आचरण करते हैं, उससे भी पूरी दुनिया आश्चर्य चकित हो जाती है. कल ही नवरात्र खत्म हुए हैं, देवियों की पूजा और अनुष्ठान संपन्न हुए हैं और आज भारत में महिलाओं का अपमान करने वाला एक राजनीतिक बयान ट्रेंड कर रहा है.
ये बयान उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट के उम्मीदवार आज़म ख़ान ने दिया है. इस बयान में उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी जया प्रदा के लिए इतनी घटिया बात कही है कि हम आपको बोलकर बता भी नहीं सकते. ये बयान सुनकर ये विश्वास नहीं होता कि भारत वही देश है जहां महिलाओं को पूजनीय़ माना जाता है, जहां उनके सम्मान की कसमें खाई जाती हैं, जहां देवियों की पूजा होती है. अष्टमी और नवमी पर देश के करोड़ों परिवारों ने कन्याओं की पूजा की होगी, उनके पैर छुए होंगे.
इसके अलावा आज चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीएसपी की अध्यक्ष मायावती पर उनके आपत्तिजनक बयानों के लिए कार्रवाई की है. योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार पर 3 दिन और मायावती के चुनाव प्रचार पर 2 दिन की रोक लगा दी गई है. बड़ी बात ये है कि ये कार्रवाई भी तब हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस तरह की बयानबाज़ी पर चिंता जताई.
यानी अगर देखा जाए तो चुनाव में हर राजनीतिक पार्टी संविधान को बचाने की दुहाई देती है. लोकतंत्र की रक्षा की बात करती है, लेकिन इन पार्टियों के नेता ही संविधान और उसकी मर्यादाओं का उल्लंघन करते हैं.
सबसे पहले हम आपको रामपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आज़म खान का बयान सुनवाते हैं. मर्यादाओं को तोड़ने वाले नेताओं को Expose करने के लिए इनके बयान दिखाने भी ज़रूरी हैं. लेकिन हमने इस बयान के आपत्तिजनक हिस्से को Censor कर दिया है.
रामपुर से बीजेपी की उम्मीदवार जया प्रदा, आज़म खान के इस बयान से बहुत दुखी हैं. Zee News के साथ बातचीत में उन्होंने मांग की है कि चुनाव आयोग आज़म खान के चुनाव लड़ने पर रोक लगाए. आज़म खान अपने बयान को लेकर पूरी तरह घिर गए हैं. आज भारत की अलग अलग राजनीतिक पार्टियों में सक्रिय महिला नेताओँ ने एक स्वर में आज़म खान के इस बयान की निंदा की है. लेकिन आज़म खान ने अपने बयान पर ना कोई खेद जताया है और ना ही कोई माफी मांगी है. उन्होंने अपनी सफाई में वही बात कही है जो गलत बयान देने के बाद अक्सर हर नेता कहता है. उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को गलत तरीके से दिखाया है.
ऐसा लगता है कि आज़म खान को सबसे ज़्यादा नाराज़गी मीडिया से ही है. आज मध्य प्रदेश के विदिशा में जब पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि 'आपके वालिद की मौत पर आया था'. आज़म खान 9 बार विधायक रह चुके हैं. वो राज्य सभा के सदस्य भी रह चुके हैं. उन्होंने 4 बार उत्तर प्रदेश की सरकार में मंत्री का पद भी संभाला है, लेकिन उनका बयान भारत के लोकतंत्र पर एक काले धब्बे की तरह है. दुख की बात ये है कि समाजवादी पार्टी, आज़म खान का बचाव कर रही है. समाजवादी पार्टी मीडिया पर बयान को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगा रही है.
भारत की सभी महिलाएं इस घटना से दुखी हैं. आज विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी एक Tweet किया है. अपने Tweet में उन्होंने लिखा है कि मुलायम भाई - आप समाजवादी पार्टी के पितामह हैं. आपके सामने रामपुर में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा है और आप भीष्म की तरह मौन साधने की गलती मत करिये. सुषमा स्वराज ने अपने Tweet में अखिलेश यादव, डिंपल यादव और जया बच्चन को भी Tag किया है.
जब से जयाप्रदा, बीजेपी की उम्मीदवार के तौर पर रामपुर में आईं, तब से ही आज़म खान लगातार उन पर निजी टिप्पणियां करते रहे हैं. जया प्रदा पहले भी सार्वजनिक रूप से इस पर अपना दुख प्रकट कर चुकी हैं. वो एक चुनाव रैली के दौरान रोती हुई नज़र आई थीं, लेकिन इसके बाद भी उन पर अभद्र टिप्पणी हुई. दुख की बात ये भी है कि राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली कुछ बड़ी महिला नेताओं ने जया प्रदा के साथ कोई सहानुभूति नहीं दिखाई है.
यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने इसकी निंदा नहीं की है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का कोई बयान भी हमारी जानकारी में नहीं आया है. समाजवादी पार्टी की राज्य सभा सांसद जया बच्चन ने भी इस पर कोई बयान नहीं दिया है. अलग-अलग मुद्दों पर विवादित बयान देना आज़म खान की पुरानी आदत है. लेकिन समाजवादी पार्टी ने कभी इस पर संज्ञान नहीं लिया और ना ही कोई कार्रवाई की.
आज़म खान समाजवादी पार्टी का एक बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं और शायद मुस्लिम वोटबैंक के लिए ही समाजवादी पार्टी, आज़म खान पर कोई कार्रवाई करने से डरती है. वैसे हमारे देश में वोटबैंक वाले नेताओँ को ये बात अच्छी तरह से पता है कि चाहे वो कोई भी बयान दें, कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. उनका वोटबैंक उनके लिए संजीवनी का काम करता है. यहां आपको रामपुर सीट का गणित देखना चाहिए. रामपुर की लोकसभा सीट पर 50.57 प्रतिशत मुस्लिम वोटर है. ये सीट जीतना समाजवादी पार्टी के लिए बहुत आसान है और शायद इसीलिए समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को ये लगता है कि कोई भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता. वो जानते हैं कि हर हाल में उनकी जीत पक्की है.
ऐसा लगता है समाजवादी पार्टी के पास विवादित बयानों की पूरी फैक्ट्री है. आज़म खान का एक और विवादित बयान आज Viral हुआ है जिसमें वो अपने समर्थकों से ये कह रहे हैं कि उन्हें प्रशासन और सरकारी अधिकारियों से डरने की ज़रूरत नहीं है क्योकि ये लोग वेतन से अपना जीवन चला रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि ये अधिकारी जूते साफ करेंगे.