सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिए भारत में 1984 में लोक संपत्ति नुकसान निवारण कानून बनाया गया था. इस कानून के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे एक साल से लेकर दस साल तक की सजा हो सकती है.और जुर्माना भी लगाया जाएगा.
Trending Photos
वैचारिक हिंसा के बाद.अब हम सड़कों पर होने वाली असली हिंसा का भी विश्लेषण करेंगे. आप सोचिये कि अगर कोई आपकी गाड़ी का पहिया चुरा ले. आपके घर के शीशे तोड़ दे या आपके घर मे रखे फर्नीचर में आग लगा दे तो आपको कैसा लगेगा. वहीं जब आप मीडिया में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की खबरें देखते हैं तब आप कैसा महसूस करते हैं ? क्या दोनों घटनाओं में आपकी भावनाएं एक जैसी होंगी ?. अगर नहीं तो आप अपने ही पैसों से सौतेला व्यवहार कर रहे हैं . क्योंकी दोनो ही स्थितियों में नुक्सान आपका ही है.
अंतर बस इतना ही है कि आपके घर का सामान आप अपने पैसों से खुद खरीदते हैं..लेकिन सार्वजनिक संपत्ति का निर्माण सरकार आपसे लिए गए टैक्स के पैसों से करती है . इन्हें जो नुकसान पहुंचाए, उसकी भरपाई उसी के पैसों से होनी चाहिए .उत्तर प्रदेश सरकार ने यही तरीका अपनाया है.
नए नागरिकता कानून के विरोध में पिछले दिनों देश की राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, मेरठ, बुलंदशहर, रामपुर, गोरखपुर समेत अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों ने पब्लिक प्रॉपर्टी को काफी नुकसान पहुंचाया था . सरकारी बसों में न सिर्फ तोड़फोड़ की गई, बल्कि उनमें आग भी लगा दी गई थी. पुलिस की गाड़ियां जलाई गई बैरिकेड तोड़े गए और पुलिस चौकियों में भी आग लगा दी गई. उस वक्त उत्तर प्रदेश की सरकार ने कहा था कि जो लोग पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उसकी भरपाई उन्हीं के पैसों से की जाएगी.
रामपुर में प्रदर्शन के दौरान 14 लाख 86 हजार रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में सरकार ने 28 लोगों को Recovery नोटिस भेजा है . रामपुर प्रशासन ने जिन लोगों को आरोपी बनाया है उनमें फेरीवाले, मजदूर करने वाले भी शामिल हैं .
मुजफ्फरनगर में संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों की संपत्तियां जब्त की गई हैं. बिजनौर और लखनऊ में भी प्रदर्शनकारियों को नोटिस भेजा गया है . यानी उत्तर प्रदेश की सरकार ने दंगाइयों से पैसा वसूलना शुरू कर दिया है .
सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिए भारत में 1984 में लोक संपत्ति नुकसान निवारण कानून बनाया गया था. इस कानून के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे एक साल से लेकर दस साल तक की सजा हो सकती है.और जुर्माना भी लगाया जाएगा.
वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को और प्रभावशाली बनाने के लिए एक पहल की थी. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश केटी. थॉमस और वरिष्ठ वकील फाली नरीमन के नेतृत्व में 2 समितियों का गठन किया गया था . नरीमन समिति ने कहा था कि दंगाइयों से सार्वजिनक संपत्ति के नुकसान की वसूली की जानी चाहिए. वर्ष 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशा निर्देश में कहा कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने पर सारी जिम्मेदारी दोषी पर होगी. यानी जो देश की संपत्ति को. यानी आपकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.
सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर सबसे पहले ब्रिटेन ने 1886 में कानून बनाया था . इसमें प्रावधान था कि नुकसान की भरपाई पुलिस फंड से की जाएगी . लेकिन ब्रिटेन में ही 1971 में क्रिमिनल डैमेज एक्ट आया . इसमें 10 साल तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान था.
ब्रिटेन के इस कानून से सीख लेते हुए कई देशों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दोशियों पर कड़ी सजा के साथ साथ भारी जुरमाने का कानून बनाया. अमेरिका में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दस साल तक की जेल हो सकती है . और यदि नुकसान 100 डॉलर ( करीब सात हजार रुपये) से अधिक है तो ढ़ाई लाख डॉलर यानी 1 करोड़ 75 लाख तक का जुर्माना हो सकता है. चीन में तो ऐसे अपराधियों को देशद्रोही माना जाता है.
पेट्रोल के दाम बढ़ने पर हाल ही में इरान में प्रदर्शन हुए थे . मानवाधिकारों पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनैशनल का कहना था कि इन प्रदर्शनों मे 200 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी . शवों को परिवार वालों को सौंपने से पहले ईरान कि सरकार ने उन गोलियों कि कीमत वसूली थी जिनके लगने से प्रदर्शनकारी मारे गए थे .
भारत की बात करें तो National Crime Records Bureau (एनसीआरबी ) के मुताबिक भारत में वर्ष 2017 में विभिन्न अदालतों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के 14 हजार 876 केस लंबित थे. ASSOCHAM नामक एक संगठन की मानें तो 2016 में कावेरी नदी के पानी को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में हिंसक प्रदर्शन हुए थे .
जिसमें 20 हजार करोड़ से अधिक की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ था . 2016 में जाट आरक्षण को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान उत्तर भारत के राज्यों को 34 हजार करोड़ का नुकसान हुआ . 2017 में हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा के हिंसक प्रदर्शन से भड़की आग में राज्य सरकार की 126 करोड़ की संपत्ति स्वाहा हो गई थी . ये रुपये आपके ही थे . पर आप खामोश थे . क्या आप तब भी खामोश रहते आगर नुक्सान आपके अपने घर या गाड़ी का हुआ होता ?
ऐसे में दूसरे राज्यो को उत्तर प्रदेश से सीख लेनी चाहिए . वोट बैंक की राजनीति छोड़कर दंगा फैलाने वालों पर, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालो पर सख्ती बरतने की जरूरत है . दंगाइयों का कोई धर्म नहीं होता है . वे हिंसा फैलाकर डर का माहौल बनाते हैं. भारत ने पूरी दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाया है.और महात्मा बुद्ध की इस धरती पर हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए.