हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 'अबकी बार, 75 पार' का नारा दिया था, लेकिन नतीजों में बीजेपी बहुमत यानी 46 के आंकडे को छूने से 6 सीट दूर रह गई है.
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 'अबकी बार, 75 पार' का नारा दिया था, लेकिन नतीजों में बीजेपी बहुमत यानी 46 के आंकडे को छूने से 6 सीट दूर रह गई है. इस विश्लेषण की शुरुआत हम कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा के एक ट्वीट से करने जा रहे हैं. दीपेंद्र हुड्डा ने 19 अक्टूबर यानी हरियाणा में वोटिंग से दो दिन पहले एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि "हरियाणा खट्टर सरकार का घमण्ड तोड़ने जा रहा है" उन्होंने ये भी लिखा था कि मेरे इस ट्वीट को Save कर लेना यानी एक तरह से वो कह रहे थे कि मैं लिख कर दे रहा हूं कि इस बार खट्टर सरकार हारने जा रही है. तब दीपेंद्र हुड्डा के इस ट्वीट का मज़ाक उड़ाया गया था कि वोटिंग से पहले दीपेंद्र अति आत्मविश्वास दिखा रहे हैं. ज्यादातर Exit Polls ने भी कांग्रेस को गंभीरता से नहीं लिया था और ये माना ही नहीं था कि वो बीजेपी को टक्कर देने जा रही है. इससे पहले 41 वर्ष के दीपेंद्र हुड्डा 2019 के लोकसभा चुनावों में रोहतक से कांटे के मुकाबले में हार गए थे.
लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने FightBack किया है और दिनभर चुनाव विश्लेषकों को लगा कि क्या कांग्रेस भी हरियाणा में सरकार बना सकती है. उससे आज ये ट्वीट आज साफी हद तक सही साबित होता दिखाई दे रहा है. अब जबकि समीकरण साफ हो गया है, पूरी तस्वीर सामने आ गई है. तो आप कह सकते हैं कि अब हरियाणा की राजनीति में दुष्यंत चौटाला एक बड़ा चेहरा बन गए हैं. जिस तरह से 31 वर्ष के दुष्यंत चौटाला ने बेहद कम वक्त में पार्टी को खड़ा किया. संगठन बनाया और सबसे बड़ी बात अपने पिता और दादा के जेल में होने के बावजूद जिस तरह से उन्होंने चुनाव प्रचार किया उससे ये कहा जा सकता है कि हरियाणा की राजनीति में आज एक सितारे का उदय हुआ है. हांलाकि सूत्रों के मुताबिक अब खबर ये है कि दुष्यंत चौटाला की पार्टी JJP बीजेपी को समर्थन देने जा रही है. और उनकी पार्टी की 10 सीटें अब हरियाणा में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी.
हरियाणा में कांग्रेस के लिए हुड्डा फैक्टर बहुत अहम साबित हुआ कांग्रेस ने 72 वर्ष के भूपेंद्र सिंह हुड्डा को Campaign Committee का प्रमुख बनाया और उम्मीदवार चुनने में हुड्डा की अहम भूमिका रही है. इससे कांग्रेस को फायदा मिला. और जाट नेता के तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस की सीटों को दोगुने से भी ज्यादा करने में अहम साबित हुए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आप हरियाणा की राजनीति का पितामह भी कह सकते हैं. हुड्डा का अनुभव और उनका राजनीतिक कौशल, कार्यकर्ताओं में जोश भरने की उनकी क्षमता ने कांग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया. जैसे पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी चुनावी टीम के साथ चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी वैसे ही भूपेंदर सिंह हुड्डा ने भी चुनाव लड़ा हांलाकि वो कांग्रेस पार्टी को बहुमत तक नहीं ले जा सके.
आपको 2 अक्टूबर को संसद परिसर का एक वीडियो दिखाते हैं, ये वीडियो देखिए और समझिए कि कैसे हुड्डा ने इस बात का जिक्र कांग्रेस के साथियों के साथ किया था कि हरियाणा में उनकी सुनी नहीं जा रही है. अब आप समझिए कि हरियाणा में सभी राजनीतिक पार्टियों का वोट शेयर क्या है और क्या पिछले 5 वर्षों में इसमें कोई बदलाव आया है? बीजेपी को 36.5 प्रतिशत वोट मिले हैं जो पिछली बार से 3 प्रतिशत ज्यादा हैं. कांग्रेस को 28 प्रतिशत वोट मिले हैं जो पिछली बार से 7 प्रतिशत ज्यादा हैं . INLD को 2.4 प्रतिशत वोट मिले हैं जो पहले के मुकाबले 22 प्रतिशत कम हैं. JJP को 15 प्रतिशत वोट मिले हैं... JJP 11 महीने पहले INLD से टूटकर बनी है .