देश की सबसे बड़ी बिस्किट निर्माता कंपनी पार्ले प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (Parle Products) अपने यहां से 10 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार कंपनी की तरफ से कहा गया कि यदि खपत में इसी तरह गिरावट आती रही तो आने वाले समय में कर्मचारियों को निकालना पड़ सकता है.
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नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी बिस्किट निर्माता कंपनी पार्ले प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (Parle Products) अपने यहां से 10 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार कंपनी की तरफ से कहा गया कि यदि खपत में इसी तरह गिरावट आती रही तो आने वाले समय में कर्मचारियों को निकालना पड़ सकता है. पारले जी की तरफ से कहा गया कि सरकार से हमने 100 रुपये प्रति किलो या इससे कम दाम पर बिकने वाले बिस्किट पर जीएसटी घटाने की मांग की थी. यदि सरकार की तरफ से यह मांग नहीं मानी जाती तो हमें कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है.
बिक्री में गिरावट से लगातार नुकसान हो रहा
पारले जी की तरफ से कहा गया कि बिक्री में कमी आने से कंपनी को भारी नुकसान हो रहा है. इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा सरकार से 100 रुपये किलो से कम में बिकने वाले बिस्किट पर टैक्स कम करने की गुजारिश की थी. इन बिस्किट की बाजार में 5 रुपये या इससे कम के पैकेट में बिक्री की जाती है. यदि सरकार हमारी मांग नहीं मानती तो कंपनी के पास छंटनी के अलावा कोई और रास्ता नहीं होगा. बिक्री में गिरावट आने से लगातार नुकसान हो रहा है.
पारले जी में 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी
इस बारे में जब जी न्यूज डिजीटल ने मयंक शाह से बात करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो सका. आपको बता दें लोकप्रिय ब्रांड पारले जी में 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. कंपनी के अलग-अलग शहरों में कुल 10 प्लांट हैं. कंपनी का सालाना बिक्री 10,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की है. साथ ही कंपनी 125 थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी ऑपरेट करती हैं.
पारले जी की आधे से ज्यादा बिक्री ग्रामीण बाजारों में होती है. कंपनी के पार्ले-जी (Parle-G), मोनाको (Monaco) और मारी (Marie) बिस्किट काफी पसंदीदा हैं. दरअसल जीएसटी लागू होने से पहले 100 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले बिस्किट पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता था. कंपनी को उम्मीद थी कि जीएसटी आने के बाद टैक्स घटकर 5 प्रतिशत रह जाएगा. लेकिन सरकार ने इसे 18 प्रतिशत वाले टैक्स में कंपनी को पहले के मुकाबले ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ रहा है. कंपनी का यह भी कहना है कि उसकी बिक्री लगातार गिर रही है.