गर्मी (Heat) का मौसम इन दिनों पीक पर चल रहा है. देश के अधिकांश हिस्सों में 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास तापमान बना हुआ है.
डॉक्टरों के मुताबिक लू (Heatstroke) तब लगती है, जब किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट यानी 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है. ऐसे में अधिक तापमान और आर्द्रता के कारण हमारा शरीर पसीने और सांस के जरिए खुद को ठंडा नहीं कर पाता. इसे ही लू लगना कहते हैं.
लू (Heatstroke) लगने पर इंसान के दिल की धड़कन तेज हो जाती है. उसकी सांस फूलने लगती है. उसे चक्कर आते हैं और उबकाई आने लगती है. पीड़ित को मांसपेशियों में ऐंठन जैसी दिक्कत होती है. उसे भ्रम का भी अनुभव होने लगता है. अगर लू से इंसान बुरी तरह झुलस जाए तो वह पूरी तरह से होश भी खो सकता है.
अगर लू (Heatstroke) से पीड़ित बीमार व्यक्ति का इलाज नहीं किया जाए उसकी मौत भी हो सकती है. लू की चपेट में किसी भी आयुवर्ग के लोग आ सकते हैं, लेकिन इससे ज्यादातर बुजुर्ग खासकर 70 साल से अधिक उम्र के लोग प्रभावित होते हैं. इसकी वजह ये है कि उम्र के साथ इंसान के शरीर की खुद को ठंडा करने की क्षमता कम हो जाती है.
लू (Heatstroke) से बचने के लिए नियमित रूप से पानी पीते रहें और मीठे पेय पदार्थ-शराब पीने से बचें. ज्यादा से ज्यादा आराम करें. दिन में उस समय व्यायाम नहीं करें, जब गर्मी अधिक हो. ठंडी जगह पर रहने की कोशिश करें. हल्के और ढीले कपड़ें पहनें. सूर्य की सीधी रोशनी के संपर्क में आने से बचें. स्वयं पर पानी के छींटे मारें और पंखे के सामने बैठें. अपनी गर्दन, बगल या सिर पर ठंडे पानी का कपड़ा रखें.
लू (Heatstroke) से बचने में पंखे उपयोगी होते हैं. हालांकि उमस वाली गर्मी होने पर एयर कंडीशनर बेहतर होता है, क्योंकि यह पूरे कमरे को ठंडा कर देता है. अगर एसी नहीं है तो कूलर लगवा सकते हैं. खुद को ठंडा रखें, आराम करें और शरीर में पानी की कमी न होने दें. आप प्याज का नियमित सेवन करें. इससे लू से काफी हद तक बचाव होता है. (एजेंसी इनपुट भाषा)
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