स्मोकिंग, तंबाकू खाने,अल्कोहल के सेवन जैसी कई वजहों से जीभ का कैंसर हो सकता है. आयरन की कमी भी Tongue cancer की वजह बन सकती है.
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नई दिल्ली: Tongue cancer यानी जीभ का कैंसर एक तरह का माउथ या ओरल कैंसर है जिसमें जीभ की कोशिकाओं में ट्यूमर या घाव बनने लगते हैं. स्मोकिंग, तंबाकू खाने,अल्कोहल के सेवन जैसी कई वजहों से जीभ का कैंसर हो सकता है. तेज दांतों की वजह से होने वाला अल्सर और आयरन की कमी भी Tongue cancer की वजह बन सकती है. वहीं अगर सही समय पर इसका इलाज न हो, तो मरीजों को पूरी जीभ खोनी पड़ती है और कई बार ये शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है.
द हेल्थसाइट डॉट कॉम की खबर के मुताबिक, मुंबई के Wockhardt Hospital में जीभ के कैंसर के कई मामले आए हैं. इनमें 5 से 6 गंभीर मामले भी थे. onco surgeon और कंसलटेंट otorhinolaryngologist डॉ. चंद्रवीर सिंह ने बताया कि हाल में एक 24 वर्षीय महिला को IVA स्टेज का tongue cancer था, जिसका इलाज जटिल सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के जरिए किया गया है.
रेशमा शाह (नाम बदला हुआ) एक कंपनी में इवेंट मैनेजर हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, उनके मुंह में जीभ के राइट लैटेरल बॉर्डर पर एक 4.5 सेंटीमीटर का अल्सर था. इसकी वजह से वो न तो खा पाती थीं न बोल पाती थीं. रेशमा को भयानक माउथ पेन था और कुछ निगलने में भी तकलीफ होती थी. ये लक्षण उनमें 4 महीने से ज्यादा समय से थे.
रेशमा ने बताया कि जब लॉकडाउन के दौरान वो घर से काम कर रही थी, तब उन्होंने नोटिस किया कि मुंह में अल्सर की वजह से वो तीखा और मसालेदार खाना नहीं खा पातीं. उन्होंने बिल्कुल फीका भोजन करना शुरू कर दिया, लेकिन परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई. कुछ दिनों बाद उन्हें माउथ पेन, स्पीच और खाते समय किसी भी चीज को निगलने में दिक्कत महसूस होने लगी.
रेशमा ने बताया कि मेरी आवाज बदल गई थी और लोग ये नहीं समझ पाते थे कि मैं क्या बोल रही हूं. मुझे गाने का बहुत शौक था, लेकिन अल्सर और दर्द की वजह से मैं गा नहीं पाती थी.
उन्होंने कहा, 'जब मुझे पता चला कि मुझे Tongue cancer है, तो मैं कुछ समझ ही नहीं पाई. मुझे लगा मुझे अपनी पूरी जीभ खोनी पड़ेगी और मैं जीवन भर बोल नहीं पाऊंगी.'
डायगनोसिस से पहले ज्यादातर मरीजों के साथ ऐसा होता है कि वो घरेलू नुस्खे अपनाते हैं. लोग इसके लिए अल्सर पर शहद, एलोवेरा जूस जैसी चीजें लगाने लगते हैं, लेकिन खुद रेशमा ने बताया कि इससे उन्हें कोई आराम नहीं मिला. उनकी दिक्कतें धीरे धीरे उनकी डेली रूटीन पर असर डालने लगीं, जिसके बाद वो Wockhardt Hospital गईं और उनका इलाज शुरू हुआ.
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ट्रीटमेंट के बाद अब रेशमा आराम से सॉलिड फूड खा सकती हैं और उनकी स्पीच क्वालिटी भी सुधरी है. अब वह गा भी सकती हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, अल्सर या माउथ पेन के शुरुआती लक्षणों को इग्नोर न करें.
डॉ. चंद्रवीर सिंह के मुताबिक, तंबाकू चबाना, स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन जीभ के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. इसके साथ ही ओरल हाइजीन का भी ध्यान रखना जरूरी है. कई बार शार्प दांतों से अल्सर हो जाते हैं, इसके लिए आपको अपने डेंटिस्ट से सलाह लेनी चाहिए.