गोंडा: उत्तर प्रदेश की गोंडा संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) के लिए छठवें चरण यानी 6 मई को मतदान होना है. इस बार के चुनाव में बाजी किसके हाथ आएगी, इस पर गोंडा में चौतरफा चर्चा जारी है. इस चुनाव को लेकर एक ऐसी चर्चा वजीरगंज (गोंडा जिले के अंतर्गत आने वाला एक कस्बा) में दुबे के अहाते में भी जारी थी. चुनावनाम में आज आपको बताते हैं चुनाव को लेकर वजीरगंज में चल रही एक मजेदार बहस के कुछ खास अंश: 


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वक्त कोई दोपहर के तीन बजे का रहा होगा. दुबे इलाके के कुछ लोगों के साथ किसी चर्चा में मशगूल थे. तभी, सफेद शर्ट-पैंट और साफे में नगर नेता तिवारी और ट्रांसपोर्टर मिश्रा भी वहां पहुंच जाते हैं. तिवारी, दुबे के पैरों को हाथ लगाकर पास पड़ी कुर्सी में पसर जाते है. दुबे, तिवारी की तरफ मुखातिब होते हुए बोले 'काहो तिवारी, कईउ दिन बाद दिखाई परौ (क्‍या बात है तिवारी, कई‍ दिन बाद दिखाई दिए). तिवारी बोले, 'का बतई, इलेक्‍शन जान लिहे है' (क्‍या बताएं, इलेक्‍शन ने जान ले रखी है).  


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तिवारी के इस जवाब के साथ हाते के चर्चा ने चुनावी हो चली थी. मौका देखकर दुबे ने सवाल दागा, 'केहिका जितैहो, राजा भैया जितिहैं या पंडित' (किसको जिता रहे हो, राजा भैया या पंडित को). यहां आपको बता दें कि न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश बल्कि गोंडा में ब्राह्मण बनाम ठाकुरों की राजनैतिक लड़ाई चलती है. इस बार गोंडा संसदीय सीट से बीजेपी से कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया मैदान में हैं. कीर्तिवर्धन सिंह का ताल्लुक मानकपुर रियासत से है. 


वहीं, गठबंधन से इस बार सपा के पंडित सिंह चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी और सपा दोनों ही दलों के उम्मीदवार ठाकुर विरादरी से आते हैं. वहीं, अपना दल (एस) की प्रत्याशी कृष्णा पटेल ने इस सीट की लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है. खैर, अब रुख करते है, नगर नेता तिवारी के जवाब का. तिवारी बोले, 'बात तो सब राजा भैया की करत हैं, लेकिन जीते पंडितवा' (बात तो सब राजा भैया की कर रहे हैं, लेकिन पंडित ही यहां से जीतेंगे)



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तिवारी के जवाब को आगे बढ़ाते हुए ट्रांसपोर्टर मिश्रा बोले, 'पंडितवा बिल्‍कुल जीतै, चाहे जौन जो बात कर लैं' (पंडित बिल्‍कुल जीतेगा, जाहे कोई कुछ भी कहे). तिवारी और मिश्रा की यह बात चर्चा में शामिल पांडे को नागवार गुजरी. त्यौरियां चढ़ाते हुए पांडे बोले, 'हुंह, का बात करत हौ तिवारी और मिसिर. पंडित सिंह के बारे में जानत नाही हो का. राजा बहुत ईमानदार हैं, उनके पास बहुत रुपया है, सिर्फ नाम के लिए जीता चाहत हैं, उन्‍हें पैसा की भूख नाही है. वो बीजेपी से खड़ा हैं, नरेंद्र मोद का फिर से प्रधानमंत्री बनावै खै. काहो तुम सब ई नाही चाहत हो' 


(हुंह, क्‍या बात करते हो तिवारी और मिश्रा. तुल लोग पंडित सिंह के बारे में जानते नहीं हो क्‍या. राजा बहुत ईमानदार हैं. उनके पास धन की कमी नहीं है, वे सिर्फ नाम के लिए जीना चाहते हैं, उनके अंदर रुपयों की भूख नहीं है. फिर वो बीजेपी से खडे़ हैं, नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना है, क्‍या तुम लोग ऐसा नहीं चाहते हो). आखिर में पांडे बोले, तू सब चाहे जेतना बात कई लोए, लेकिन बीजेपिन जीतै (तुम सब लोग कुछ भी कहो, लेकिन यहां से सिर्फ बीजेपी ही जीतेगी)



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पांडे की यह बात तिवारी को लग गई. अब तिवारी आंकड़ेबाजी के साथ मैदान में उतर पड़े. गिनती कराते हुए बोले, भले ही, पिछली बार (लोकसभा चुनाव 2014) में राजा भैया 1.60 लाख वोटों से जीते थे. इस बार उनके लिए उतरौला और गौरा विधानसभा जीतना मुश्किल होगा. पिछली बार सपा-बसपा अलग अलग चुनाव लड़े थे, अल्पसंख्यक वोट भी तीनों पार्टियों में बंटा हुआ था. अबकी बार ऐसा नही होगा. 


सपा-बसपा का वोट मिला दो, तो उतरौला विधानसभा में 67976 वोट और गौरा में 75825 वोट बनता है. जबकि बीजेपी को एक सीट पर 66479 और दूसरी पर 58042 वोट मिले थे. अब मोदी की लहर भी नही रही. तिवारी की बात सुनकर अब शुक्ला को भी जोश आ गया. बोले, 'तू फालतू की बात करत हो पाडे, तुमहे सिरिफ उतरौला और गौरा के बात याद आवत ही, तू मनकापुर, महनून और गोंडा के विधानसभा काहे भूल जात हो'(पांडे क्‍या फालतू बात कर रहे हो. तुम्‍हें सिर्फ उतरौला और गौरा याद आ रहा है और तुम मनकापुर, महनून और गोंडा विधानसभा भूल गए)


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शुक्‍ला बोले, पिछली बार महनून से बीजेपी को 71506 वोट मिले थे. सपा-बसपा मिला दें तो 58161 वोट थे. तुम गोंडा विधानसभा की बात करो तो सपा-बसपा का करीब 53474 वोट था, वहीं बीजेपी के राजा भैया को 73933 वोट मिले थे. इसी तरह मनकापुर में बीजेपी को 89018 वोट मिले थे. सपा-बसपा के वोट 59519 में निपट गए थे' अब तक, बहस जोरों पर पहुंच चुकी थी, तिवारी का गणित थोड़ा गड़बड़ाने लगा था. 


अब अपना पक्ष मजबूत करने के लिए वे बोले, 'जइहां वोट पड़े, वह दिन बहुत तगड़ी लगन ही, अब मेहरारू बरात बिदा करे जइहैं या वोट डावै ज‍इहैं. यहां अल्‍पसंख्‍यकन का ढाई लाख से ज्‍यादा वोट है, मर्द मेहरारू जरूर डावै जइहैं. (जिस दिन वोट पड़ने हैं, उस दिन बहुत तगड़ी सहालग हैं, अब महिलाएं अपने घर की बारात विदा करेंगी या वोट डालने जाएंगी, उधर अल्‍पसंख्‍यकों का ढाई लाख वोट है, सब वोट डालने जाएंगे, चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं)


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तिवारी बोले कि आपको नही लगता कि इस बार कृष्णा पटेल बीजेपी का वोट नही काटेंगी. आखिर में ट्रांसपोर्टर मिश्रा जी ने अपना आखिरी कमेंट दिया, 'हमार तो दिल यहै चाहत है कि मोदी प्रधानमंत्री फिरसै बनैं, लेकिन हम वोटवा वही का देब, जे हमरे कामै आवै. हमरे ताईं पंडित सिंह दिन रात खड़ा राहत हैं. हम उनके साथै धोखा न करब. जाउन बात है हम साफ कहित हैं' (हमारा दिल तो यही चाहता है कि नरेंद्र मोदी फिर से एक बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन हम वोट उसी को देंगे जो हमारे काम आएगा. पंडित सिंह हमारे लिए दिन रात खड़े रहते हैं, हम उनके साथ धोखा नहीं कर सकते हैं, जो बात है साफ है).


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इतना कह कर तिवारी और मिश्रा वहां से निकल लिए. दोनों के जाने के बाद शुक्ला जी थोड़ा तैश में आकर बोले, 'अब ये सब पंडित के तरफदारी कै बात न करिहैं, तो के करि, इन्‍है दोनों जनका हर महीना पंडित से लाभ उठावत हैं' (अब ये दोनों पंडित सिंह की तरफदारी नहीं करेंगे तो कौन करेगा, इन दोनों को पंडित सिंह से हर महीने बड़ा मुनाफा जो होता है). अब गोंडा में आखिर जीत किसकी होती है इसका फैसला 6 मई को ईवीएम में कैद हो जाएगा और 23 मई को हमारे सामने होगा.