लोकसभा चुनाव 2019: जानिये क्यों इस सीट के दिव्यांगजनों के लिए खास होगा कल का दिन?
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लोकसभा चुनाव 2019: जानिये क्यों इस सीट के दिव्यांगजनों के लिए खास होगा कल का दिन?

देश के लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चुनाव को कहा जाता है. इस पर्व में हम सभी की भागीदारी होनी चाहिए, ताकि देश को एक सदृढ़ सरकार मिल सके. लेकिन देश में आज भी एक तबका ऐसा है, जो वोटिंग के दिन किसी कारणवश या तो वोट डालने नहीं जा पाता, या फिर जाता है तो किसी दूसरे का सहारा लेकर.

देश में निशक्तजनों का आंकड़ा 2 करोड़ से भी ज्यादा का है. (फाइल फोटो)

हिसार: देश के लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चुनाव को कहा जाता है. इस पर्व में हम सभी की भागीदारी होनी चाहिए, ताकि देश को एक सदृढ़ सरकार मिल सके. लेकिन देश में आज भी एक तबका ऐसा है, जो वोटिंग के दिन किसी कारणवंश या तो वोट डालने नहीं जा पाता, या फिर जाता है तो किसी दूसरे का सहारा लेकर. ये वर्ग है निशक्तजन अथवा दिव्यांगजन. कुदरत की मार झेल रहे इन निशक्तजनों का आंकड़ा देश में 2 करोड़ से भी ज्यादा का है. अकेले हिसार में इनकी तादाद 12 हजार के करीब है. 

हरियाणा में 10 सीटों के लिए कल मतदान होना है. बात की जाएं हिसार की तो, इस बार हिसार लोकसभा के दिव्यांगजनों के लिए कल का दिन खास रहने वाला है. दरअसल, चुनाव में दिव्यांगजनों की भी सहभागिता अच्छी रहे, इसके मद्देनजर हिसार के निर्वाचन अधिकारी अशोक मीणा ने दिव्यार्थ एप बनवाई है. एप के जरिए दिव्यांगजनों को तमाम नेताओं के बारे में ना सिर्फ पूरी जानकारी मिलेगी, बल्कि उन्हें बूथ तक ले जाने की व्यवस्था भी इसी के जरिए होगी. जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा बनवाई गई यह एप देश में पहली बार बनाई गई है. 

fallbackजानिए एप की खासियत
-उम्मीदवार का ब्यौरा होगा
-घर से लाने वाले वाहन की जीपीएस ट्रेकिंग
-खुद के वोट और बूथ की पूरी जानकारी
-अधिकारियों के संपर्क नंबर
- इसमें उम्मीदवारों का पूरा ब्यौरा होगा. मसलन, उसकी शैक्षणिक योग्यता, उम्र्र, क्या उस पर कोई अपराधिक मामला दर्ज तो नहींं है. किस पार्टी से है, पहले भी चुनाव लड़ा या नहीं. इस तरह के तमाम सवालों के जवाब होंगे. 
- एप में खुद के वोट और बूथ की पूरी जानकारी भी होगा. यानि बूथ कितनी दूर है, किस जगह पर है और वोट संख्या क्या है.
- हिसार जिला के निर्वाचन अधिकारी ने निशक्तजनों को घर से लाने केे लिए वाहनों की व्यवस्था भी की है. इस एप के जरिए उन वाहनों की ऑनलाइन जीपीएस ट्रेकिंग होगी. मसलन, एप से ही पता चलता रहेगा कि वाहन कितने बजे घर आएगा और उस पर तैनात अधिकारियों के संपर्क नंबर भी रहेंगे. 

वाहनों की व्यवस्था से नहीं लेनी पड़ेगी लिफ्ट
हिसार में एक सरकारी स्कूल के लेक्चर्रर प्यारे लाल ने बताया कि वाहनों की व्यवस्था होने से दिव्यांगों की उन परेशानियों का खात्मा होगा, जो वो दूसरो से लिफ्ट लेकर या गुहार लगाकर मतदान करने के लिए बूथ तक छोडऩे की अपील किया करते थे. इसके अलावा एप का सबसे बड़ा फायदा दिव्यांगों को यह होगा कि अब वो अपने बूते पर ही उम्मीदवारों के बारे में जान पाएंगे. पहले ज्यादतर दिव्यांगों को या तो उम्मीदवारों के बारे मेंं पता नहीं चल पाता था, या फिर वो अपने रिश्तेदारों के कहने पर ही मतदान कर आते थे.

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हिसार के जिला निर्वाचन अधिकारी अशोक मीणा. (फाइल फोटो)

डिसेब्ल फ्रेंडली वाहन रहेंगे उपलब्ध
हिसार के जिला निर्वाचन अधिकारी अशोक मीणा ने बताया कि 'एप के साथ-साथ दिव्यांगजनोंं को बूथ तक ले जाने के लिए विशेष डिसेब्ल-फ्रेंडली वाहनों की व्यवस्था की जाएगी. डिसेब्ल फै्रंडली वाहन के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी ने नोडल ऑफिर की तैनाती भी की है. ये नोडल ऑफिर उन दिव्यांगजनों को फोन के जरिए वाहन की लोकेशन के बारे में बताएंगे, जिन दिव्यांगजनों के पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है. यह एप गूगल प्ले स्टोर पर अपलोड कर दी गई है. 

भेजा गया है अपील पत्र 
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं हिसार के डीसी अशोक मीणा दिव्यांगजनों को मतदान की अपील का एक आग्रह पत्र और एक ब्राउश्र भी भेजा है. आग्रह पत्र में दिव्यांगजनों से निवेदन है कि वो अपने मत का इस्तेमाल जरूर करे. एप और ब्राउश्र दोनों के जरिए चुनावी मैदान में उतरे उम्मीदवार और उसके चुनाव निशान जैसे तमाम पहलुओं के बारे में तमाम जानकारी है. 

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चौंकाने वाला है देश में दिव्यांगजनों का आंकड़ा
देश में दिव्यांजनों का आंकड़ा चौकाने वाला है. डिपार्टमेंट ऑफ इंपावरमेंट ऑफ पर्सन विद डिसेब्लिटी द्वारा जारी डेटा के अनुसार 2011 में देश भर में 2 करोड़ 68 लाख 10 हजार 557 दिव्यांगजन है. इनमें पुरुषों की संख्या 1 करोड़ 49 लाख 86 हजार 202 जबकि महिलाओं की संख्या 1 करोड़ 18 लाख 24 हजार 355 थी. बात की जाएं, इन दिव्यांगजनों में से 54 लाख 36 हजार 826 दिव्यांगजन ऐसे है, जो अपने आप हिल ढुल नहीं सकते. 

बात अगर हरियाणा की करे तो प्रदेश में 5 लाख 46 हजार 374 दिव्यांगजन थे, इनमें से 1 लाख 16 हजार 26 दिव्यांजन ऐसे है, जो अपने आप हिल ढुल नहीं सकते. ऐसे ही हिमाचल की अगर बात करे तो यहां 1 लाख 55 हजार 316 दिव्यांगजन है, जिनमें से 32550, वहीं पंजाब में 6 लाख 54 हजार 63 में से 1 लाख 30 हजार 44 ऐसे है जो बिना दूसरे केसहारे मूव नहीं कर सकते. बात अगर हिसार की करे तो यहां 12 हजार के करीब निशक्तजन है. 

पूरे देश में लागू करने की मांग
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं हिसार के डीसी अशोक मीणा द्वारा चुनाव में पहली बार किए जा रहे इस प्रकार के उपयोग को लेकर खासे खुश है. हिसार के रहने वाले लेक्चरर्र प्यारे लाल, ईश्वर सिंह, वीना रानी ने जी मीडिया से बातचीत में पहले की दिक्कतों को भी सांझा किया और जिला निर्वाचन अधिकारी के इस आइडिया को चुनाव आयोग द्वारा पूरे देश में लागू कर देने की मांग की. उनका कहना था कि परेशानियां बहुत थी, दूसरों के भरोसे रहना पड़ता था. लेकिन अशोक मीणा के प्रयास सराहनीय है, इससे फायदा ही होगा. 

आज भी हमारे देश के कई दिव्यांजन चाह कर भी अपने वोट के उपयोग से इसलिए वंचित रह जाते है, क्योंकि उन्हें कोई बूथ तक ले जाने के लिए तैयार नहीं होता. तैयार हो भी जाता है, तो अमूमन नेताओं के बारे में ज्यादा जानकारी ना होने पर घर वालों के कहे अनुसार ही वोट डाल दिया जाता है. ऐसे में हिसार के निर्वाचन अधिकारी अशोक मीणा का यह प्रयास दिव्यांगजनों के लिए काफी मददगार साबित होगा. उम्मीद है कि चुनाव आयोग इस आइडिया को पूरे देश में लागू करेगा.

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