किशनगंज लोकसभा सीट : क्या 2019 के चुनाव में कांग्रेस लगा पाएगी जीत की हैट्रिक?
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किशनगंज लोकसभा सीट : क्या 2019 के चुनाव में कांग्रेस लगा पाएगी जीत की हैट्रिक?

1999 में यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की टिकट पर शाहनवाज हुसैन ने दिग्गज नेता तस्लीमुद्दीन को हराकर सांसद बने थे.

1989 में कांग्रेस की टिकट पर एमजे अकबर किशनगंज से चुनाव जीते थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

किशनगंज : बिहार का किशनगंज लोकसभा सीट बंगाल, नेपाल और बंग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है. मुस्लिम बहुल लोकसभा सीट पर बीते दो लोकसभा चुनावों से कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा है. शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा था. 2014 में सांसद असरार-उल-हक़ का हाल ही में निधन हो गया. 2019 का  आम चुनाव नजदीक होने के कारण यहां उपचुनाव नहीं कराए गए.

किशनगंज सीट पर मुकाबला सदैव रोचक रहा है. 1999 में यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की टिकट पर शाहनवाज हुसैन ने दिग्गज नेता तस्लीमुद्दीन को हराकर सांसद बने थे.

1957 और 1962 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के मोहम्मद ताहिर जीते. 1967 पीएसपी के एलएल कपूर ने मोहम्मद ताहिर को शिकस्त दी थी. 1971 में इस सीट से कांग्रेस के जमीलुर रहमान चुनाव जीते. 1980 और 1984 के चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार जमीलुर रहमान जीत दर्ज करने में सफल रहे. 1985 के जनता पार्टी की टिकट पर सैय्यद शहाबुद्दीन चुनाव जीते. 1989 में किशनगंज से कांग्रेस ने पत्रकार एमजे अकबर को टिकट दिया और वे सांसद बनने में सफल भी रहे.

1991 में इस सीट से फिर सैय्यद शहाबुद्दीन जीत गए. 1996 में किशनगंज से जनता दल के मोहम्मद तस्लीमुद्दीन जीते. 1998 में तस्लीमुद्दीन यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे लेकिन इस बार आरजेडी के टिकट पर.

1438990 मतदाता वाले किशनगंज लोकसभा सीट पर 2014 के आम चुनाव में कुल 928490 वोट पड़े थे. कांग्रेस के असरार-उल-हक़ को 493461 वोट मिले वहीं, बीजेपी के दिलीप कुमार जयसवाल को 298849 लोगों ने वोट दिया. जेडीयू उम्मीदवार  55811 अख्तरूल इमाम को सिर्फ 55811 वोट से संतोष करना पड़ा. किशनगंज लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. इनमें बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, अमौर और बैसी शामिल है.

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