यूपी गड़बड़ाया तो दक्षिण बनेगा NDA का खेवनहार! ये है BJP का प्लान 'B'
Advertisement

यूपी गड़बड़ाया तो दक्षिण बनेगा NDA का खेवनहार! ये है BJP का प्लान 'B'

लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत से 50 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के महासचिव मुरलीधर राव ने कहा कि कर्नाटक में पार्टी को मजबूती देने के साथ हम पूर्वोत्तर की तर्ज पर छोटे छोटे दलों को जोड़कर दक्षिण के राज्यों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को आकार देने में जुटे हैं. 

बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव को किसी भी कीमत पर जीतने की तैयारी में है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections 2019) को देखते हुए सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने गठबंधन कर लिया है. ऐसे में राजनीतिक पंडित अनुमान लगा रहे हैं कि बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में 2014 वाला रिजल्ट दोहराना मुश्किल होगा. ऐसे में बीजेपी भी दूसरे प्लान पर काम करना शुरू कर चुकी है. नॉर्थ-ईस्ट की 25 लोकसभा सीटों पर नजरें टिकाने के बाद बीजेपी दक्षिण के राज्यों में 50 सीटें जीतने की कोशिश में जुट गई है. पिछले चुनाव में यूपी की 80 में से 73 लोकसभा सीटें बीजेपी+ ने जीती थी, जिससे एनडीए ने आसानी से बहुमत का आंकड़ा जुटा लिया था.

  1. कर्नाटक, तमिलनाडु से है बीजेपी को काफी उम्मीदें
  2. आंध्र पदेश और केरल से भी कुछ सीटें आने की उम्मीद
  3. बीजेपी गंभीरता से दक्षिण के राज्यों पर कर रही है फोकस   

लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत से 50 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के महासचिव मुरलीधर राव ने कहा कि कर्नाटक में पार्टी को मजबूती देने के साथ हम पूर्वोत्तर की तर्ज पर छोटे छोटे दलों को जोड़कर दक्षिण के राज्यों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को आकार देने में जुटे हैं. मुरलीधर राव ने से बातचीत में कहा, ‘दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत बनाना एक चुनौती रहा है. हमारा प्रदर्शन पिछले दशकों में कर्नाटक में अच्छा रहा है. पहले हम वहां सत्ता में रह चुके हैं और विधानसभा चुनाव में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. दक्षिण के दूसरे राज्यों में पार्टी का तेजी से विस्तार हो रहा है. हम गांव तक पहुंचने में सफल रहे हैं.’ 

कर्नाटक में 22 सीटें जीतने का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि पार्टी की विचारधारा और राजनीतिक संवाद को दक्षिण भारत के परिवेश एवं परिदृश्य के अनुरूप लोगों के स्वीकार्य रूप में पेश किया जाए. उन्होंने कहा कि इसमें पार्टी सफल भी हो रही है.

कर्नाटक में बीजेपी ने 22 से अधिक सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है, हालांकि राज्य में कांग्रेस और जदएस गठबंधन की ओर से उसकी योजना को चुनौती भी मिल रही है. इस गठबंधन के कारण ही बीजेपी को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बहुमत से कुछ सीट कम मिली और सत्ता उसके हाथ से फिसल गई थी. पार्टी को हालांकि विश्वास है कि लोकसभा चुनाव में उसे बड़ी जीत मिलेगी.

तमिलनाडु से भी है उम्मीदें
राव ने कहा, 'कर्नाटक में कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार नहीं चल पा रही है, रोज रोज दोनों दलों के झगड़े सामने आ रहे हैं. राज्य की जनता सब कुछ देख सुन रही है कि किस प्रकार से मुख्यमंत्री कुमारस्वामी बार बार पद छोड़ने की बात कह रहे हैं.' बीजेपी महासचिव ने कहा, 'कर्नाटक में यही (कांग्रेस-जदएस कलह) हमारा बड़ा मुद्दा है. हम जनता के समक्ष इन सभी विषयों को बतायेंगे. राज्य में लोकसभा चुनाव में हमें बड़ी जीत मिलेगी.' 

तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं. बीजेपी यहां छोटे छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. पार्टी राज्य में अन्नाद्रमुक को साथ लेने की कोशिश कर रही है. 2014 में बीजेपी तमिलनाडु में गठबंधन के साथ चुनावों में गई जिसमें एमडीएमके, पीएमके और अन्य छोटे दल शामिल थे. गठबंधन ने राज्य से दो सीटें जीतीं थी.

fallback
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के महासचिव मुरलीधर राव

राज्य में गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर राव ने कहा कि तमिलनाडु में बीजेपी के दरवाजे समान विचार वाले दलों के साथ गठबंधन के लिये खुले हैं. 

आंध्र की 10 सीटों पर बीजेपी का फोकस
वहीं केरल में बीजेपी अपना प्रदर्शन बेहतर बनाने के लिये पूरा जोर लगा रही है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि केरल में सबरीमला के मद्देनजर बीजेपी के पक्ष में हिंदुओं का बड़ा झुकाव प्रतीत हो रहा है. बीजेपी खास तौर पर तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, पलक्कड़, अटिंगल जैसे क्षेत्रों में जोर लगा रही है.

आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं, बीजेपी यहां 10 सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है. पार्टी 1999 के अपने प्रदर्शन को दोहराना चाहती है जब उसने अविभाजित आंध्रप्रदेश से सात सीटें जीती थीं.

राव ने जोर दिया कि लोगों का बीजेपी खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर काफी भरोसा है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि लोग समझते हैं कि अलग अलग विचारधारा वाले विपक्षी दल क्यों साथ आ रहे हैं. विपक्षी गठबंधन का एकमात्र एजेंडा मोदी हटाओ है और आगामी चुनाव में लोग इसे नकार देंगे.

Trending news