भरूच लोकसभा सीट पर बीजेपी करीब तीन दशक से जीतते आ रही है. वहीं, मनसुखभाई करीब 20 साल से यहां से सांसद हैं.
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भरूचः गुजरात राज्य का भरूच जिला काफी प्राचीन है. अंकलेश्वर जीआईडीसी सहित सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में से एक होने के नाते, इसे कई बार भारत की रासायनिक राजधानी के रूप में जाना जाता है. कहा जाता है कि अरब के व्यापारियों ने व्यापार करने के लिए भरूच से गुजरात में प्रवेश किया. भरुच युगों से गुजराती भार्गव ब्राह्मण समुदाय का घर रहा है.
राजनीतिक दृष्टि से भी भरूच काफी महत्वपूर्ण है. भरूच लोकसभा सीट पर बीजेपी का गढ़ रहा है. भरूच लोकसभा सीट पर 1951 में पहली बार चुनाव हुआ था. जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. वहीं, कांग्रेस 1984 तक कांग्रेस का एकाधिकार रहा था.
बीजेपी ने यहां 1989 में पहली बार जीत हासिल की थी. जिसके बाद आज तक भरूच लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. 1989 में चंदुभाई देशमुख ने बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा था और पहली बार इस सीट पर बीजेपी को जीत दिलाई थी. वहीं, चंदुभाई देशमुख यहां से 1989, 1991, 1996 और 1998 तक चार बार चुनाव लड़ा और लगातार चारों बार बीजेपी को जीत दिलाई.
इसके बाद बीजेपी ने मनसुखभाई वसावा को मौका दिया. चंदुभाई के बाद मनसुखभाई वसावा 1998 उपचुनाव में भरूच लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे. उन्होंने बीजेपी की जीत को बरकरार रखा. वहीं, 1999, 2004, 2009 और 2014 में मनसुखभाई वसावा ने लगातार चार बार जीत दर्ज की और बीजेपी के विजय रथ को जारी रखा है.
करीब 30 सालों से बीजेपी का भरूच लोकसभा सीट पर एक क्षत्र राज है. वहीं, बीजेपी और मनसुखभाई वसावा के विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस को बड़ी रणनीति की जरूरत है. साथ ही 2019 में भी कांग्रेस के लिए भरूच सीट चुनौतीपूर्ण है. देखना होगा कि कांग्रेस कैसे बीजेपी और मनसुखभाई वसावा के विजय रथ को रोक पाती है.