नई दिल्लीः तमिलनाडु का नागपट्टिनम लोकसभा क्षेत्र राज्य की राजनीति का केंद्र रही है. करीब 35 फीसदी दलित समाज वाला यह क्षेत्र टूरिज्म की दृष्टि से भी तमिलनाडु के लिए अहम स्थान रखता है. 1957 में लोकसभा सीट बनने के बाद से इस सीट पर सीपीआई के उम्मीदवारों ने इस सीट से सबसे ज्यादा 6 बार जीत हासिल की है. इसके अलावा 4 बार कांग्रेस तो 4 बार डीएमके यहां फतह ध्वज लहरा चुकी हैं. फिलहाल यहां से AIADMK के डॉक्टर के. गोपाल सांसद हैं.


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नागपट्टिनम का राजनीतिक इतिहास
बात करें नागपट्टिनम लोकसभा क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास की तो यह वामपंथी राजनीति का प्रमुख केंद्र रही है. यहां दलित समाज के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं. नागपट्टिनम लोकसभा सीट से 1957, 1962 और 1967 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. 


इसके बाद 1971 में CPI, 1977 में CPI के एस.जी. मुरुगैयन, 1979 के उपचुनाव में CPI के के. मुरुगैयन, 1980 में DMK, 1984 में AIADMK, 1989 में CPI के एम. सेल्वरासु, 1991 में कांग्रेस की पद्मा, 1996 और 1998 में भी  CPI, 1999, 2004 और 2009 में DMK के ए.के.एस. विजयन ने जीत दर्ज की थी.


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कुल मतदाता
2014 में हुई मतगणना के अनुसार नागपट्टिनम में कुल मतदाताओं की संख्या 1,210,626 है,  जिनमें से 6,04,280 महिला मतदाता हैं तो वहीं 6,06,339 पुरुष मतदाता हैं.


2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में नागपट्टिनम में एआईएडीएमके के डॉ. के. गोपाल ने जीत हासिल की थी.  AIADMK उम्मीदवार डॉ. के. गोपाल को 2014 के लोकसभा चुनाव में 4,34,174 वोट मिले थे. जबकि दूसरे नंबर पर रहे डीएमके के ए. विजयन को 3,28,095 वोट मिले थे. दोनों के बीच जीत का अंतर 1,06,079 मतों का रहा.