पंचमहल लोकसभा सीट पहले गोधरा लोकसभा सीट नाम से जाना जाता था.
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पंचमहलः गुजरात राज्य का पंचमहल लोकसभा क्षेत्र राजनीति में काफी अहम रहा है. हालांकि यह लोकसभा सीट 2008 में स्तित्व में आई है. 2008 के परिसीमन के बाद पंचमहल लोकसभा सीट वजूद में आई. इससे पहले यह गोधरा लोकसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. हालांकि 1952 से 1957 के बीच दो बार पंचमहल लोकसभा सीट के नाम पर ही चुनाव हुआ था.
1952 में जब पहली बार पंचमहल लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ था तो 1957 तक कांग्रेस इस सीट से जीतते आ रही थी. वहीं, 1962 में गोधरा लोकसभा सीट के नाम से पहली बार चुनाव हुआ था. स्वतंत्र पार्टी ने जीत दर्ज की थी. वहीं, 1977 में कांग्रेस ने गोधरा सीट पर वापसी की थी. वहीं, बीजेपी 1991 में पहली बार गोधरा सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थी. लेकिन 1996 में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई.
इसके बाद 1998 में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी लेकिन 1999 में यह फिर से बीजेपी के पास आ गई. 1999 के बाद से यह बीजेपी का गढ़ बन गया. 1999 में भूपेंद्र सिंह सोलंकी ने बीजेपी के टिकट से यहां जीत दर्ज की थी. वहीं, 2004 में भी भूपेंद्र सिंह ने ही फिर से जीत हासिल को बीजेपी की जीत को बरकरार रखा था. हालांकि 2009 में उन्हें इस सीट से टिकट नहीं मिल पाया था.
2008 में ही परिसीमन के बाद गोधरा लोकसभा सीट का नाम बदलकर पंचमहल लोकसभा सीट कर दिया गया. और बीजेपी की ओर से प्रभात सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया गया. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार शंकर सिंह वघेला को कुछ अंतरों से मात दी थी. लेकिन 2014 में प्रभात सिंह को बीजेपी ने फिर से मौका दिया और उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार राम सिंह प्रमार को भारी मतों से हराया था. उन्होंने 2 लाख वोट से भी अधिक अंतरों से जीत दर्ज की थी.
वहीं, 2019 में पंचमहल लोकसभा सीट से प्रभात सिंह के पास हैट्रिक जीत लगाने का मौका है. वहीं, कांग्रेस के लिए यह सीट काफी चुनौती भरी है. 1998 के बाद से कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है.