नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में मतदाता जागरूकता के लिए कई तरह के प्रयास सरकार और निर्वाचन आयोग द्वारा किए जा रहे है. इस चुनाव में मतदाताओं की सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इसका एक जीतता जातता उदाहरण गोवा में देखने को मिला. गोवा में एक ऐसा मतदान केन्द्र चलाया जा रहा है जिसमें सभी कर्मचारी दिव्यांग हैं. गोवा मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा दो ऐसे मतदान केन्द्र  तैयार किए गए हैं जहां मतदान केन्द्र का पूरा दारोमदार दिव्यांग जन ही संभाले हुए हैं. पंजिम के ब्रिगेंजा हॉल को दिव्यांग केन्द्र बनाया गया है. बता दें कि इस मतदान केन्द्र को कुल 15 अधिकारियों की टीम चला रही है.


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सब को बराबर का अवसर
केन्द्र के नोडल अधिकारी नारायण गाड ने कहा कि सभी लोगों को मतदान के इस पर्व में बराबर का अवसर दिया गया है यहां पर किसी के साथ अलग तरह का व्यवहार नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी लोग समान है और किसी की क्षमता को कम नहीं आंका जा सकता. उन्होंने कहा कि यह लोग भले ही किसी कारणो से शरीर से कमजोर हुए हों लेकिन कार्य करने की क्षमता और इच्छा इनमें आज भी किसी से कम नहीं है. बता दें कि इस मतदान केन्द्र में दिव्यांगों की सहूलियतों का पूरी तरह से ध्यान रखा गया है. 


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सुविधा के हैं सभी इंतजाम
आने-जाने के लिए रेलिंग, व्हील चेयर चढ़ाने के लिए रैंप और दूसरी सहूलियत ही बरकरार की गई है जिससे मतदान कराने के दौरान किसी तरह की असुविधा ना हो. ज़ी मीडिया ने जब इस पोलिंग स्टेशन का जायजा लिया तो वहां कि सुविधाओं और कंडीशन को देखकर यह नहीं कहा जा सकता था कि यह दूसरे मतदान केन्द्र से अलग है. लगभग 933 वोटरों वाला यह पोलिंग स्टेशन किसी भी मतदाता को बगैर किसी दिक्कत से मतदान कराने में सक्षम दिख रहा है.


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दक्षिण गोवा के मडगांव में नूतन स्कूल को भी इसी तरह का पोलिंग स्टेशन बनाया गया है. जो पूरी तरह से दिव्यांग लोगों की जरिए चलाया जा रहा है. गोवा दिव्यांग जनों के संरक्षक और सरकार की तरफ से बनाए गए नोडल ऑफिसर ताहा हाज़िक के मुताबिक--"यह एक जज्बा है जो हमें आम इंसान को भी दिखाना है कि हम वास्तव में महत्वपूर्ण वोटर हैं जो अपनी जिम्मेदारियां समझते हैं और देश की उन्नति में अपना योगदान भी देते हैं. हम निश्चय ही उत्साहित हैं की गोवा सरकार की इस पहल से सम्मान के साथ मुख्यधारा में जुड़ने का अवसर भी मिला है." इस बात से कहीं भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि महज 30 लोगों ने वह जज्बा दिखाया जो सैकड़ों लोग मिलकर भी नहीं दिखा पाते हैं. भले ही सरकार के जरिए इन्हें यह काम सौंपे गए हों लेकिन अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा कर यह जरूर दर्शाते हैं कि किसी काम को निभाने में दिव्यांगजन किसी से पीछे नहीं है.