नई दिल्ली : सरकार ने कोयला और लिग्नाइट पर रॉयल्टी शुल्क के लिए मूल्यानुसार दर व्यवस्था को मंजूरी दे दी। कोयले पर रॉयल्टी की दर 14 प्रतिशत तथा लिग्नाइट पर 6 प्रतिशत तय की गई है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इससे कोयला संसाधन के धनी राज्यांे को सालाना 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी।
कोयला मंत्रालय द्वारा गठित एक अध्ययन समूह ने कोयले पर रॉयल्टी के लिए मूल्यानुसार दर 14 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया था। वहीं लिग्नाइट के लिए रॉयल्टी शुल्क की दर 6 फीसद रखने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें कर और अन्य शुल्क शामिल नहीं हैं। फिलहाल खनिज पर रॉयल्टी की गणना मूल्यानुसार जमा निश्चित दर के हिसाब से की जाती है। निश्चित दर जहां कोयले के ग्रेड के हिसाब से तय होती है, जबकि मूल्यानुसार दर की गणना खान के मुहाने पर ही मूल्य के हिसाब से होती है। इसे चालान मूल्य का 5 फीसद रखा गया है। इसमें कर और अन्य शुल्क अलग हैं।
वित्त मंत्रालय और योजना आयोग ने कोयले और लिग्नाइट पर रॉयल्टी की नई व्यवस्था को मंजूरी दी थी। यह सरकार और निजी खनन कंपनियांे के अलावा खुद के लिए उत्पादन करने वाले उत्पादकों पर लागू होगी। कोयला और लिग्नाइट पर रॉयल्टी दरांे में अगस्त, 2007 से संशोधन नहीं हुआ है। खनिज के धनी राज्यों ओड़िशा, झारखंड, छत्तीसगढ, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश काफी अरसे से मूल्यानुसार रॉयल्टी व्यवस्था की मांग कर रहे थे।
(एजेंसी)