रिटेल में FDI के फैसले पर रोक से SC का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने खुदरा व्यापार के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के केन्द्र सरकार के निर्णय पर रोक लगाने से आज इंकार कर दिया । इस मामले की अगली सुनवाई पांच नवंबर को होगी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने खुदरा व्यापार के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के केन्द्र सरकार के निर्णय पर रोक लगाने से आज इंकार कर दिया । इस मामले की अगली सुनवाई पांच नवंबर को होगी।
न्यायमूर्ति आर एम लोढा और न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की खंडपीठ ने वकील मनोहर लाल शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि इस नीति में नियमों की दृष्टि से कुछ दोष है जिसका ‘उपचार’ किया जा सकता है। पीठ ने इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के क्रियान्वयन के लिए निर्धारित नियमों में समुचित संशोधन करने को कहा है ताकि सरकार की इस नीति का क्रियान्वयन की छूट दी जा सके। न्यायालय ने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने संबंधी अधिसूचना जारी होने से पहले ही विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के नियमों में संशोधन कर लिया जाना चाहिए था। न्यायालय ने साथ ही स्पष्ट किया कि ‘फेमा’ की नियमावली में संशोधन करके रिजर्व बैंक इस दोष को अब भी दूर कर सकता है।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘कम से कम यह तो कहा ही जा सकता है कि यह एक ऐसी अनियमितता है जिसमें सुधार किया जा सकता है और नियमों में बदलाव करते ही यह दोष दूर हो जायेगा।’’
न्यायाधीशों ने कहा कि इस अनियमितता के कारण खुदरा व्यापार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने की नीति पर रोक नहीं लगायी जा सकती है।
अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने कहा कि वह फेमा नियमों में संशोधन के लिए तुरंत कदम उठाने के बारे में रिजर्व बैंक के गवर्नर से बात करेंगे।
न्यायालय ने अटार्नी जनरल की इस दलील के बाद जनहित याचिका पर सुनवाई पांच नवंबर के लिए स्थगित कर दी।
सरकार की खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने की नीति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका में कहा गया था कि इस नीति को लागू करने के लिए रिजर्व बैंक की अनिवार्य मंजूरी हो इसमें है ही नहीं।
शीर्ष अदालत ने पांच अक्तूबर को इस मनेाहर लाल शर्मा की याचिका पर सुनवाइ्र के दौरान थअटार्नी जनरल या सालिसीटर जनरल से सहायता की अपेक्षा की थी। न्यायालय का कहना है कि इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों से संबंधित कुछ कड़ियों के नदारद होने के मद्देनजर स्पष्टीकरण की जरूरत है।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि खुदरा व्यापार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के मामले में रिजर्व बैंक की स्वीकृति है ही नहीं। उन्होंने दलील दी कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के तहत खुदरा व्यापार प्रतिबंधित है लेकिन परिपत्र के जरिये इसके दायरे से बाहर निकालने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक के पास है जिसने 2008 के बाद कोई नया नियम जारी ही नहीं किया है।
उन्होंने यह भी दलील दी थी कि कानून में संशोधन करने के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर सरकारी परिपत्र बगैर किसी अधिकार के ही जारी किया गया है।
शर्मा की इस दलील का संज्ञान लेते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि वे स्पष्टीकरण चाहते हैं कि रिजर्व बैंक के नियम के बगैर ही क्या इस परिपत्र की कोई कानूनी अहमियत हैं।
इसके साथ ही न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई 12 अक्तूबर के लिए स्थगित करते हुए इसमें अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती या सालिसीटर जनरल रोहिंटन नरिमन से इस मामले में मदद लेने का निश्चय किया था।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि केन्द्र सरकार कानून के तहत राष्ट्रपति या संसद की मंजूरी के बगैर ही इस मामले में अधिसूचना जारी की है।
न्यायालय ने इस दलील को अस्वीकार करते हुये कहा था कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि नीति राष्ट्रपति के नाम से ही होनी चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि किसी भी नीति को संसद में पेश करने की कभी कोई आवश्यकत नहीं होती है। (एजेंसी)

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