नई दिल्ली : देश ने भले ही लाइसेंस राज के बाद लंबी दूरी तय की हो, लेकिन दो-तिहाई कंपनियां अब भी प्रक्रिया में ढांचागत जटिलता के चलते सरकार से निपटना कठिन पाती हैं। उद्योग जगत को अपेक्षा है कि सरकार आर्थिक नीतियों व नियामकीय ढांचे से जुड़े सुधारों के साथ साथ प्रक्रियागत सुधारों को आक्रामकता से आगे बढ़ाएगी। वैश्विक परामर्श फर्म ग्रांट थोरंटन के एक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष निकाला गया है।
इसके अनुसार भारत ने लाइसेंस राज को पीछे छोड़ते हुए बीते दो दशकों में लंबी यात्रा तय की है, लेकिन भारतीय कंपनियां अब भी पारदर्शिता व प्रशासन में कमी तथा भ्रष्टाचार जैसी चुनौतियों से दो चार होती हैं।
सर्वे के अनुसार इसमें शामिल ज्यादातर (67 प्रतिशत) लोगों ने कहा कि उनके लिए सरकार व नौकरशाही से निपटना अब भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। फर्म का कहना है कि (इज आफ डूइंग बिजनेस इंडेस्क) के लिहाज से भारत की श्रेणी बहुत खराब है। यह सर्वेक्षण ऐसे समय में सामने आया है जबकि सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले को टाल दिया है।
(एजेंसी)