नई दिल्ली : निर्यात पर वैश्विक नरमी के प्रभाव को लेकर चिंतित वाणिज्य मंत्रालय ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में नई जान फूंकने के लिए पहल शुरू की है। देश के कुल सालाना निर्यात में सेज का योगदान 3 लाख करोड़ रुपये या लगभग 28 प्रतिशत है।
सेज के समक्ष कर और प्रक्रिया संबंधी समस्याओं के मद्देनजर वाणिज्य मंत्रालय ने नीति और परिचालन संबंधी मुद्दों पर संबंधित पक्षों की राय मांगी है।
मंत्रालय ने कहा, ‘सेज से संबंधित नीतियों तथा परिचालन के मुद्दों के हल के लिए सभी संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे गए हैं।’ मंत्रालय के अनुसार सेज कानून तथा नियम को अधिसूचित हुए पांच साल हुए हैं। इतने कम समय में 585 सेज को मंजूरी दी गई। उनमें से 143 से निर्यात हो रहा है।
सेज में कुल 2,00000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जिसमें 7,00000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। बहरहाल, नए सेज में कर छूट को लेकर अनिश्चितता के कारण इसके प्रति निवेशकों की रुचि कम हो रही है। निवेशक प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) के नए मसौदे को लेकर चिंतित हैं। संशोधित डीटीसी मसौदे के अनुसार कर छूट केवल मौजूदा सेज इकाइयों तक सीमित रहेगी।
(एजेंसी)