वाशिंगटन: एक अध्ययन में सामने आया है कि गर्भावस्था में जिस महिला का वजन तेजी से बढ़े, उसके स्थूल शिशु को जन्म देने की संभावना रहती है। अमेरिकी पत्रिका पीएलओएस मेडिसन में प्रकाशित इस अध्ययन में सुझाया गया कि गर्भावस्था संभवत: अगली पीढ़ी को मोटापे से बचाने का `एक खास महत्वपूर्ण समय` है।
बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने दो या उससे अधिक बच्चों वाली 41,133 माताओं के निरीक्षण में खोज निकाला कि शैशवकाल की स्थूलता में, गर्भवस्था की स्थिति या अन्य कारक जैसे आहार, जीन मुख्य भूमिका निभाते हैं।
शोधकर्ताओं ने दो या अधिक बच्चों वाली माताओं के जन्म देने के रिकॉर्ड को 11.9 की औसत आयु वाले बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) से जोड़कर देखा। इसके बाद एक ही मां से उत्पन्न बच्चों में सांख्यिकीय तुलना की।
शोधकर्ताओं ने अनुभव किया कि एक ही घरेलू माहौल व समान सामाजिक-आर्थिक प्रभावों, मोटापा जीन से सहोदरों में स्थूलता एक समान थी।
अध्ययन में गर्भावस्था के दौरान बढ़े प्रत्येक एक किलोग्राम वजन के अनुपात में 12 वर्षीय बच्चे का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 0 से 0.2 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर तक बढ़ने का खुलासा हुआ।
बोस्टन स्थित चिल्ड्रन हॉस्पिटल के न्यू बैलेंस फाउंडेशन ओबेसिटी प्रीवेंशन सेंटर के निदेशक, वरिष्ठ लेखक डेविड ल्यूडविग ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान अत्याधिक वजन बढ़ना मोटापे की बीमारी फैलने में महत्वपूर्ण हो सकता है। (एजेंसी)
Pregnant infant
गर्भवती के बढ़े वजन का ताल्लुक शिशु के मोटापे से होता है
एक अध्ययन में सामने आया है कि गर्भावस्था में जिस महिला का वजन तेजी से बढ़े, उसके स्थूल शिशु को जन्म देने की संभावना रहती है।
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