चीन के खिलाफ भारत के साथ जापान
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चीन के खिलाफ भारत के साथ जापान

दक्षिण और पूर्व चीन सागर क्षेत्र में चीन के कथित विस्तारवादी रवैये से जापान भी चिंतित है. इसलिए वह इस समुद्री क्षेत्र में निर्बाध नौवहन सुनिश्चित करने के लिए भारत का सहयोग चाहता है.

[caption id="attachment_10198" align="alignnone" width="255" caption="जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे"][/caption]

नई दिल्‍ली :  जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने साफ कहा है कि एशिया और इसके आसपास के समुद्री इलाकों में परिवहन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत और जापान को रक्षा सहयोग बढ़ाना चाहिए. दक्षिण और पूर्व चीन सागर क्षेत्र में चीन के कथित विस्तारवादी रवैये से जापान भी चिंतित है. इसलिए वह इस समुद्री क्षेत्र में निर्बाध नौवहन सुनिश्चित करने के लिए भारत का सहयोग चाहता है.

आबे ने एक सेमिनार में कहा कि समुद्री क्षेत्र में व्यापार और आवागमन को अवरोध मुक्त बनाये रखने के लिए भारत, अमेरिका और जापान के बीच सहयोग होना चाहिए. उन्होंने चीन का नाम लिये बिना कहा कि कोई भी देश जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है वह ऐसी जिम्मेदारी नहीं निभा सकता. उन्होंने कहा कि भारत और जापान के बीच निकट रक्षा सहयोग होना चाहिए ताकि दादागीरी दिखाने वाले देशों को काबू में रखा जा सके. उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत पूर्व एशिया में शांति और स्थिरता कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

चीन ने भारत को हर तरफ से घेरने की कोशिश की है. पीओके, नेपाल, म्‍यांमार, श्रीलंका से लेकर बांग्‍लादेश तक में वह अपना जाल फैला चुका है. अब सने वियतनाम में भारतीय कंपनी ओएनजीसी के तेल निकालने पर भी आपत्ति जता कर समुद्र में दादागीरी दिखा रहा है. जापान इसे अपनी समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए भी खतरे के तौर पर देखता है. यही वजह है कि आबे ने इसके लिए भारत और जापान के सहयोग की वकालत की है. (एजेंसियां)

 

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