वॉशिंगटन : जर्मनी के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कहा है कि निष्क्रिय हो चुका 2.4 टन वजनी एक जर्मन उपग्रह इस हफ्ते धरती पर गिर सकता है लेकिन इस बारे में अब भी रहस्य बना हुआ है कि यह कब और किस जगह गिरेगा। बड़े आकार का जर्मन रोंटजन सैटेलाइट (रोसैट) शनिवार या रविवार को धरती पर गिर सकता है। हालांकि जर्मन अंतरिक्ष विज्ञनियों ने कहा है कि इसमें 21 से 25 अक्तूबर तक का समय भी लग सकता है।
इस उपग्रह के गिरने की संभावना ऐसे समय सामने आई है जब इससे पहले सितंबर के अंत में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का जलवायु उपग्रह अपर एटमोस्फेयर रिसर्च सैटेलाइट प्रशांत महासागर में गिर पड़ा था। जर्मन एरोस्पेस के अधिकारियों ने कहा कि 2.4 टन की एक्सरे अंतरिक्ष वेधशाला धरती के वातावरण में घुसते ही टूट जाएगा लेकिन इसका करीब 1.7 टन मलबा बचा रह सकता है और धरती की सतह पर पहुंच सकता है जिसमें 30 बड़े शीशे और चीनी मिट्टी के खंड भी शामिल होंगे। जर्मन अंतरिक्ष एजेंसी डीएलआर के एक्जीक्यूटिव बोर्ड प्रमुख जॉन वोर्नर ने स्पेस डाट काम को बताया, हमें नहीं लगाता कि दर्पण शीशे और चीनी मिट्टी के भागों को छोड़कर बड़े हिस्से धरती के वातावरण में घुसेंगे।
उन्होंने कहा, धरती के वातावरण में पुन: प्रवेश के दौरान अपेक्षाकृत सभी तत्व जल जाते हैं लेकिन शीशा और चीनी मिट्टी बच सकती है और बड़े टुकड़ों में नीचे गिर सकती है। डीएलआर अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस बात का दो हजार में से एक अवसर हो सकता है जब रोसैट का कोई टुकड़ा धरती से टकरा । नासा के उपग्रह की तुलना में इसमें थोड़ा ज्यादा खतरा है। नासा ने अपने उपग्रह के धरती से टकराने का 3200 में से एक अवसर बताया था। जर्मनी के अंतरिक्ष अधिकारी रोसैट पर करीब से नजर रखे हुए हैं लेकिन इसके धरती पर पहुंचने से दो घंटे पहले तक वे सही सही ये पता लगाने में सफल नहीं हो पाएंगे कि यह कब और कहां गिरेगा। (एजेंसी)