काहिरा : मिस्र के राष्ट्रपति पद से होस्नी मुबारक के अपदस्थ होने के बाद कई इस्लामी, सेवानिवृत्त जनरल, पुरानी सरकार में शामिल रहे नेता और राजनीति में कदम रखने वाले नए लोग देश के पहले राष्ट्रपति पद पर कब्जा जमाने की जुगत कर रहे हैं।
हालांकि, इनमें से किसी की भी हैसियत देश के बड़े मसलों को सुलझाने या ताकतवर सेना का सामना करने की नहीं है। आगामी 23-24 मई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देश में चली बदलाव की बयार के बाद असैन्य शासन कायम होने की दिशा में अहम माना जा रहा है। इस चुनाव में इस्लामी तबके का वर्चस्व रहने की संभावना है। कुछ महीने पहले हुए संसदीय चुनावों में इस्लामी तबके का वर्चस्व रहा था। इस तबके को प्राप्त हुई राजनीतिक सत्ता ने उन्हें देश का ‘सूत्रधार’ बना दिया है। (एजेंसी)