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काहिरा : मिस्र में सत्ता से बेदखल किए जा चुके राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी ने 30 जून से शुरू हुए विद्रोह से पहले जनता की ओर से की गई जनमत संग्रह की मांग को ठुकरा दिया था। यह जानकारी रक्षा मंत्री अब्देल-फताह अल सिसी ने दी।
एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, सिसी ने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री और उनके विश्वासपात्र कानूनी विशेषज्ञ सहित अन्य दूतों को जनमत संग्रह के लिए जनता को आमंत्रित किए जाने वाले स्पष्ट संदेश के साथ राष्ट्रपति मुर्सी के पास भेजा था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा कि मिस्र दोराहे पर खड़ा है और कोई इसकी जनता पर किसी खास विचार या राह स्वीकारे जाने का दबाव नहीं डाल सकता। सेना और नेताओं को जनता की सेवा और देश के भाग्य का फैसला करने में उनकी इच्छाओं का समर्थन करने के लिए चुना जाता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सिसी ने इस बात पर जोर दिया कि सेना की भूमिका जनता से आदेश लेना है न कि उन्हें आदेश देना। तीन जुलाई को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन को देखते हुए सेना ने मुर्सी को सत्ता से बेदखल कर दिया था। सिसी ने कहा कि सेना ने राजनीतिक कार्रवाई की क्योंकि जनता ने इसकी मांग सेना से की थी। उन्होंने कहा कि जनता को यह एहसास हो गया है कि सेना ही पथभ्रष्ट चलन को ठीक कर सकती है। सिसी के मुताबिक, सेना ने मुर्सी को उनके कुछ फैसलों को लेकर सलाह दी थी लेकिन सभी सलाहें ठुकरा दी गईं। (एजेंसी)