बीजिंग : चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने पहली विदेश यात्रा के रूप में भारत का चुनाव कर यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि बीजिंग का नया नेतृत्व नई दिल्ली के साथ रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने को प्राथमिकता देता है। लेकिन सीमा विवाद सुलझाए बगैर दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास का महौल पूरी तरह विकसित नहीं हो सकता है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने केकियांग की भारत यात्रा पर शनिवार को अपनी टिप्पणी में यह नजरिया पेश किया है। सिन्हुआ के मुताबिक, इसका सामान्य-सा तर्क है। चूंकि चीन और भारत दुनिया के दो बड़े विकासशील और सर्वाधिक आबादी वाले देश हैं। दोनों देशों में दुनिया की कुल आबादी का 40 फीसदी हिस्सा है। इसलिए संबंधों में कटुता से किसी भी पक्ष को लाभ नहीं पहुंच सकता।
एजेंसी ने कहा है कि हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से चीन के दोनों नेताओं -राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली -ने बातचीत में सीमा समस्या और अन्य विवादित मुद्दों के प्रभावी प्रबंधन करते हुए मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के प्रति चीन की प्रतिबद्धता पर जोर दिया था।
समाचार एजेंसी ने कहा है, बीते वर्षो में द्विपक्षीय संबंध कई तरह की परीक्षाओं से गुजरा है। जो चुनौतियां दोनों के सामने आकर खड़ी हुईं, उनमें हाल के दिनों में सीमा पर उठ खड़ा हुआ विवाद भी एक है। लेकिन इस समस्या का त्वरित रूप से समाधान इस बात की एक बार फिर से गवाही देता है कि दोनों देश घटनाओं से बंधे रहने से इतर आपसी संबंधों के बड़े आयाम की ओर नजर गड़ाए हुए हैं। (एजेंसी)
ली केकियांग
`ली की यात्रा, भारत के साथ प्रगाढ़ता बढ़ाने का सबूत`
चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने पहली विदेश यात्रा के रूप में भारत का चुनाव कर यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि बीजिंग का नया नेतृत्व नई दिल्ली के साथ रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने को प्राथमिकता देता है।
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