इटली के राजदूत को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, विदेश जाने पर रोक

इटली मरींस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इटली के राजदूत को आज फटकार लगाई है।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इटली के राजदूत दानील मांचिनी को अगले आदेश तक भारत छोड़कर न जाने का आदेश दिया। इससे पहले इटली अपने इस वादे से मुकर गया कि केरल तट से परे दो मछुआरों को मारने के दोषी दो मरीन वापस लौट आएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को इटली के राजदूत से कहा था कि वह न्यायालय की इजाजत के बगैर देश छोड़कर न जाएं। इटली सरकार द्वारा दो मरीन मासीमिलानो लातोरो और साल्वातोर गिरोने को भारत वापस भेजने से इंकार करने के बाद शीर्ष न्यायालय ने यह कदम उठाया।
न्यायालय ने कहा, ‘‘इटली के राजदूत दानील मांचिनी और इटली गणराज्य की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी को सुनने के बाद, हम मामले को अगले आदेश के लिए 2 अप्रैल 2013 को सूचीबद्ध करने का आदेश देते हैं।’’
पीठ के अध्यक्ष मुख्य न्यायाधाश अलतमस कबीर ने कहा, ‘‘4 मार्च को दिए गए अंतरिम आदेश में मांचिनी को इस अदालत की इजाजत के बिना भारत छोड़कर न जाने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश को अगले आदेश तक बढ़ाया जाता है।’’
न्यायाधीशों ने निर्देश दिया कि मांचिनी को भारत छोड़कर जाने से रोकने के आदेश के संबंध में ‘‘देश के सभी प्राधिकार मुनासिब कदम उठाएं।’’ इस खंडपीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई शामिल हैं। यह आदेश देने से पहले न्यायाधीशों ने कहा कि मरीन को वोट डालने के लिए इटली जाने और वहां से लौटने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया था। यह अवधि अभी समाप्त नहीं हुई और उनके पास लौटकर आने के लिए अभी भी समय है।
पीठ ने कहा कि हमने (राजदूत द्वारा दिए गए आश्वासन का) सम्मान किया और उन्हें (मरीन को) चार सप्ताह के लिए जाने की इजाजत दी, यह अवधि 22 मार्च को समाप्त होगी। उनके पास वापस लौटने के लिए अभी भी वक्त है। देखा जाए तो उन्होंने अभी हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं किया है। यह एक ऐसा मामला है जहां एक सरकार दूसरी सरकार से बात कर रही है और हमारे करने को कुछ नहीं है।’’ इटली के पोत एनरिका लेक्सी पर सवार दो मरीन ने पिछले वर्ष 15 फरवरी को केरल के तट से दूर दो भारतीय दो मछुआरों की कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी।
अटार्नी जनरल गुलाम ई वाहनवती ने इटली सरकार द्वारा इस मामले मे भेजे गये उस जवाब से न्यायालय को अवगत कराया जिसमें 1961 की वियना संधि में उल्लिखित राजनयिक संबंधों से जुड़े मामलों पर बात की गई है।
वाहनवती ने कहा यह हैरान करने वाली बात है कि इसमें दस्तावेज में कहा गया है कि कोई भारतीय अधिकारी इटली के राजदूत की गतिविधि की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाएगा। (एजेंसी)

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