डीएनए टेस्‍ट में खुलासा: एनडी तिवारी हैं रोहित शेखर के पिता

पितृत्‍व केस में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री नारायण दत्त तिवारी तिवारी को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस बात का खुलासा कर दिया कि एनडी तिवारी ही रोहित शेखर के पिता हैं।

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : पितृत्‍व केस में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री नारायण दत्त तिवारी तिवारी को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस बात का खुलासा कर दिया कि एनडी तिवारी ही रोहित शेखर के पिता हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में आज डीएनए रिपोर्ट खोली गई, जिसमें इस बात का राज सामने आया कि एनडी तिवारी ही रोहित शेखर के जैविक पिता हैं।
एनडी तिवारी दिल्ली निवासी युवक रोहित शेखर के जैविक पिता हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला में की गई तिवारी की डीएनए जांच के नतीजे की घोषणा खुली अदालत में की। रिपोर्ट के अनुसार, तिवारी कथित तौर पर रोहित शेखर के जैविक पिता और उज्ज्वला शर्मा कथित तौर पर उनकी जैविक मां हैं।
डीएनए जांच का नतीजा घोषित करने से पहले रोहित शेखर और उनकी मां उज्ज्वला शर्मा के वकीलों की मौजूदगी में न्यायाधीश के चैंबर में सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) की सीलबंद रिपोर्ट को खोला गया। यद्यपि न्यायाधीश ने तिवारी के वकील के आने का इंतजार किया लेकिन उनकी तरफ से कोई नहीं आया।
खुली अदालत में डीएनए जांच के नतीजे की घोषणा के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी प्रतिवादी नंबर 1 (तिवारी) की ओर से नहीं आया है जबकि तकरीबन चार बज गए हैं, न ही प्रतिवादी नंबर 1 की ओर से स्थगन के लिए कोई अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि इसलिए सीडीएफडी, हैदराबाद से मिली सीलबंद रिपोर्ट को खोला जाए और रिपोर्ट को फाइल में रखा जाए। यह सिर्फ पक्षकारों को उपलब्ध होगी।
32 वर्षीय रोहित शेखर और उनकी मां के वकील ने न्यायाधीश को सूचित किया कि इससे पहले उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने 87 वर्षीय तिवारी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पितृत्व वाद में फैसला सुनाने वाली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के डीएनए रिपोर्ट नहीं खोलने की मांग की गई थी।
दो सदस्यीय पीठ ने न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल को रिपोर्ट खोलने की अनुमति दे दी थी। न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने तिवारी की डीएनए रिपोर्ट खोलने और तिवारी की डीएनए जांच का नतीजा खुली अदालत में घोषणा करने का फैसला किया था। न्यायमूर्ति खेत्रपाल के 19 जुलाई के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एके सीकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट नहीं खोलने से प्रक्रिया लंबी हो सकती है
तिवारी की डीएनए रिपोर्ट पर गोपनीयता बरकरार रखने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश के संदर्भ में न्यायमूर्ति खेत्रपाल की टिप्पणी से सहमति जताते हुए उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने कहा था कि हम एकल न्यायाधीश से सहमति जताते हैं कि उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्देश में कहीं भी यह नहीं कहा कि मुकदमा संपन्न होने तक डीनएन प्रोफाइल सीलबंद लिफाफे में रखी जाए।
यह डीएनए रिपोर्ट एक सबूत है। पीठ ने कहा था, ‘मकसद था कि विवाद खत्म किया जाये और अनावश्यक लंबे मुकदमे को टाला जाये। यदि अभी नमूने नहीं खोले गये तो इससे गवाहों से अनावश्यक जिरह करनी पड़ेगी। हम याचिका में कोई दम नहीं पाते हैं इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
तिवारी के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल गुप्ता ने एकल न्यायाधीश के आदेश को खारिज करने या उस समय तक संरक्षण देने प्रदान किया जाना चाहिए जब तक उच्चतम न्यायालय गोपनीयता के मुद्दे पर अपने 24 मई के आदेश पर स्पष्टीकरण दे देता है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि मुकदमे को बंद कमरे में चलाने और डीएनए रिपोर्ट की गोपनीयता बरकरार रखने का अनुरोध एकल न्यायाधीश द्वारा खारिज किए जाने के बाद उन्होंने शीर्ष न्यायालय के समक्ष एक याचिका दी है और इस पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है।
तिवारी के अनुरोध का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता रोहित शेखर के वकील अमित सिब्बल ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट एक वैज्ञानिक सबूत है तथा सत्य जितनी जल्दी संभव हो, सामने आना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि तिवारी एक बुजुर्ग व्यक्ति हैं तथा यदि उन्हें कुछ हो जाता है तो वाद बेमानी हो जाएगा। उनके अनुसार अदालत को मामले पर यथाशीघ्र निर्णय करना चाहिए। सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद पीठ ने तिवारी के वकील से कहा था कि यह एक सबूत है। आप यह कैसे कह सकते हैं कि सबूत खोला नहीं जाए। यह एक खुला मुकदमा है तथा सबूतों को दर्ज करना ही होगा।
अपनी अपील में 87 वर्षीय तिवारी ने अदालत से अनुरोध किया था कि उनकी प्रतिष्ठा के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने दावा कि एकल पीठ ने वाद का निर्णय करने के लिए सरल रास्ता चुना और इससे उनके साथ भारी अन्याय हो सकता है।
गौर हो कि साल 2008 में पितृत्व याचिका दाखिल करने वाले रोहित शेखर ने दावा किया था कि कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता एनडी तिवारी ही उसके जैविक पिता हैं। हालांकि तिवारी शेखर के दावे को नकारते रहे। उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल को दिए अपने आदेश में तिवारी को डीएनए परीक्षण करवाने के लिए कहा था और उन पर 25,000 रूपये का जुर्माना भी लगाया था।

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