परमाणु हथियारों से रक्षा क्षमता में वृद्धि : मेनन

भारत ने एक बार फिर वैश्विक परमाणु निशस्त्रीकरण की वकालत करते हुए कहा कि जबतक पूरे विश्व में इस विषय पर सहमति नहीं बन जाती तब तक वह परमाणु हथियार त्याग नहीं सकता क्योंकि इससे दूसरे देश उस पर हमला करने या दबाव डालने का प्रयास नहीं करेंगे।

नई दिल्ली : भारत ने एक बार फिर वैश्विक परमाणु निशस्त्रीकरण की वकालत करते हुए कहा कि जबतक पूरे विश्व में इस विषय पर सहमति नहीं बन जाती तब तक वह परमाणु हथियार त्याग नहीं सकता क्योंकि इससे दूसरे देश उस पर हमला करने या दबाव डालने का प्रयास नहीं करेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने वैश्विक परमाणु निशस्त्रीकरण पर आयोजित सेमिनार में कहा कि 1998 से पहले कम से तीन बार अन्य शक्तियों ने परमाणु हथियारों की धमकी देकर भारत का निर्णय बदलने का प्रयास किया था।" उन्होंने कहा कि 1998 में परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र घोषित करने के बाद से भारत को ऐसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा।
मेनन ने कहा कि इसलिए अनुभव बताता है कि परमाणु हथियार अन्य शक्तियों को भारत पर परमाणु हमले करने एवं दबाव डालने से रोकता है। एक दिवसीय इस सेमिनार का आयोजन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की जयंती के अवसर इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स एवं विदेश मंत्रालय के द्वारा किया गया था। इसमें 37 विश्वविद्यालयों के 1500 छात्रों ने हिस्सा लिया।
गांधी ने नौ जून 1988 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में परमाणु निशस्त्रीकरण सम्बंधित प्रस्ताव पेश किया था। मेनन ने पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भारत हमेशा से कहता आया है कि उसका परमाणु हथियार आत्मरक्षा के लिए है न कि युद्ध करने के लिए। उन्होंने कहा कि इन हथियारों का प्रयोग भारत के खिलाफ हमला करने वालों के खिलाफ किया जाएगा।
मेनन ने कहा कि भारत ने 1974 में पहला शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण करने के बाद 24 साल तक परमाणु निशस्त्रीकरण के लिए काम किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि लेकिन इस मुद्दे पर सिर्फ जबानी बातें एवं भेदभावपूर्ण कार्रवाई हुई। (एजेंसी)

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