भाजपा ने फूड बिल को ‘वोट सुरक्षा विधेयक’ बताया

कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक को ‘वोट सुरक्षा विधेयक’ करार देते हुए भाजपा ने सोमवार को कहा कि सरकार एक योजना के तहत ‘कमी’ पैदा कर रही है ताकि लोगों को गरीब और भूखा बनाये रख कर उनका एकमात्र हमदर्द बनने का दावा कर सके।

नई दिल्ली : कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक को ‘वोट सुरक्षा विधेयक’ करार देते हुए भाजपा ने सोमवार को कहा कि सरकार एक योजना के तहत ‘कमी’ पैदा कर रही है ताकि लोगों को गरीब और भूखा बनाये रख कर उनका एकमात्र हमदर्द बनने का दावा कर सके।
लोकसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा के डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि 2009 में राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहा गया था कि सभी को अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार कानून बनायेगी। लेकिन सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद सरकार एक आधा अधूरा विधेयक लायी है और ऐसे समय में लायी है जब उसके सत्ता से जाने का समय आ गया है।
खाद्य सुरक्षा के लिए भाजपा शासित राज्य ‘छत्तीसगढ़’ का मॉडल अपनाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘भूख किसी एक पार्टी, समुदाय या वर्ग से संबंधित नहीं होती है, भूख की ज्वाला तेज होने पर इसका असर सभी जगहों पर देखने को मिलता है। लेकिन यह सरकार गरीबों की सही संख्या बताने को तैयार नहीं है। यह जरूरी है कि संसद से गरीबों की सही तस्वीर पेश हो।’
जोशी ने कहा कि विधेयक में छह महीने से तीन साल के बच्चे को भी शामिल किया गया है और इन्हें फोर्टिफाइड फूड देने की बात कही गई है। ‘लेकिन इस बात का उल्लेख नहीं है कि छह महीने से तीन साल के बच्चे को क्या राशन देंगे। क्या उन्हें भी गेहूं और चावल दिया जायेगा। या बहुराष्ट्रीय कंपनियां इनके लिए भोजन तैयार करेंगी क्योंकि विधेयक की चर्चा के बाद से ही बहु राष्ट्रीय कंपनियों के विज्ञापन आने शुरू हो गए हैं।’
भाजपा नेता ने कहा कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के 2009 की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में सबसे गरीब व्यक्ति के अनाज की प्रतिव्यक्ति प्रति माह खपत 9.8 किलोग्राम है जबकि खाद्य सुरक्षा विधेयक में पांच किलोग्राम अनाज देने की बात कही गई है और पूरे दुनिया में हल्ला मचाया जा रहा है। (एजेंसी)

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