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नई दिल्ली : लद्दाख में हाल ही में चीन की घुसपैठ के बाद बने गतिरोध से मिले ‘‘सबक’’ पर संज्ञान लेते हुए भारत और चीन ने सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए और उपाय करने का आज फैसला किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग के बीच परस्पर हितों और चिन्ताओं को लेकर हुई चर्चा के बाद यह बात सामने आयी । कल से आज तक ली के साथ सिंह की यह दूसरी मुलाकात थी। दोनों ने सीमा विवाद, सीमा पारीय नदियों और व्यापार घाटे सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए दोनों नेताओं ने माना कि उनकी कल रात और आज सुबह की बातचीत ‘सुस्पष्ट’ और ‘खुल कर’ हुई है। सिंह और ली ने कहा कि पश्चिमी सेक्टर में हालिया घटना से जो सीख मिली, उन्होंने उस पर विचार किया। सिंह ने ऐलान किया कि हमने अपने विशेष प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी दी है कि वे आगे किये जाने वाले उपायों पर विचार करें, जो सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए आवश्यक हो सकते हैं।
सिंह ने कहा कि हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि निष्पक्ष, यथोचित और परस्पर स्वीकार्य सीमा समझौते के लिए एक ढांचे पर जल्द सहमति के उद्देश्य से हमारे विशेष प्रतिनिधि बातचीत के लिए जल्द ही मुलाकात करेंगे।
ये बातचीत चीन के सैनिकों द्वारा लद्दाख की देपसांग घाटी में 19 किलोमीटर तक घुसपैठ की घटना के लगभग एक महीने बाद हुई है। इस घुसपैठ के बाद बना गतिरोध दो सप्ताह पहले ही खत्म हुआ है।
ली ने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच कुछ समस्याएं हैं। दोनों ही पक्षों का मानना है कि जहां तक सीमा का सवाल है, दोनों पक्षों ने इसे लेकर समय के साथ कुछ सिद्धांत स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि इस बीच हमने सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए मिलकर काम किया है। हमें विभिन्न मुद्दों को व्यापक नजरिये से देखने तथा उन पर परिपक्वता और समझदारी से बातचीत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें सीमा के क्षेत्रों में शांति बनाये रखने और सीमा पारीय नदी से जुडे मुद्दों पर उचित ढंग से सहयोग करने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने अपने बयान में कहा कि कल शाम से लेकर आज तक प्रधानमंत्री ली और उनकी परस्पर हितों और चिन्ताओं से जुडे सभी मसलों पर व्यापक एवं स्पष्ट बातचीत हुई है। सिंह ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों के बीच संबंधों का काफी महत्व है और हमारे शांतिपूर्ण विकास और सतत आर्थिक विकास के साथ साथ हमारे क्षेत्र और दुनिया की स्थिरता और संपन्नता के लिए यह आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन दो प्राचीन सभ्यताओं वाले पडोसी हैं और सदियों से शांतिपूर्वक रहते आये हैं। हमारे मतभेद रहे लेकिन पिछले 25 साल के दौरान हमने परस्पर लाभ वाले संबंध निरंतर विकसित किये। सिंह ने कहा कि लगातार विकास और हमारे संबंधों के विस्तार का आधार हमारी सीमाओं पर शांति का होना है। सीमा मुद्दे जल्द हल करने के इरादे से वह और ली सहमत हुए हैं कि सीमा पर शांति बरकरार रखी जाएगी।
चीन द्वारा ब्रहमपुत्र नदी पर बांध बनाने का संभवत: हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों से होकर बहने वाली नदियों के उपरी हिस्सों में चल रही गतिविधियों से नदी के निचले हिस्सों पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर भारत की चिन्ताओं से उन्होंने ली को अवगत कराया। सिंह ने कहा कि ऐसी नदियों के उपरी भाग में विकास परियोजनाओं पर सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए विशेषज्ञ स्तर के तंत्र का विस्तार किया जाना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर खुशी जतायी कि दोनों पक्ष सीमा पारीय नदियों के मामले में सहयोग का विस्तार करने पर सहमत हो गये हैं। सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री ली को अपने इस नजरिये से अवगत कराया है कि चीन और भारत का उत्थान दुनिया के लिए अच्छा है और दुनिया के पास दोनों देशों की जनता की विकास संबंधी आकांक्षाओं को समायोजित करने के लिए पर्याप्त जगह है।
उन्होंने कहा कि इसे हकीकत बनाने के लिए यह बात महत्वपूर्ण है कि हमारे देशों की जनता के बीच तालमेल विकसित हो । हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि दोनों पक्षों को परस्पर विश्वास मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए ताकि अधिक सहयोग संभव हो। सिंह ने कहा कि आर्थिक सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का काफी महत्वपूर्ण अंग है और दोनों अर्थव्यवस्थाओं में विकास की जो संभावनाएं हैं, उनसे अधिक सहयोग का रास्ता तैयार हो सकता है।
उन्होंने कहा कि सहयोग के कई क्षेत्र हैं, जिन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है। व्यापार घाटे को लेकर सिंह ने अपनी चिन्ताओं से ली को अवगत कराया और भारतीय निर्यात एवं निवेश के लिए चीन में अधिक बाजार मुहैया कराने की मांग की।
सिंह ने कहा कि उन्होंने भारत के बुनियादी ढांचा और विनिर्माण क्षेत्रों में उपलब्ध व्यापक अवसरों को देखते हुए चीन को अधिक सहभागिता के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि दोनों अर्थव्यवस्थाओं के तेजी से विकसित होने से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आर्थिक सहयोग के नये अवसर सामने आये हैं। द्विपक्षीय सामरिक आर्थिक वार्ताओं के जरिए इन अवसरों की पहचान की जाएगी।
प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने ली के साथ भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बांग्लादेश, म्यामां, चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया के अन्य देशों के साथ जोडने के लिए बुनियादी ढांचा विकास संबंधी संभावनाओं पर भी चर्चा की। सिंह ने कहा कि उन्होंने और ली ने तेजी से विकसित हो रही वैश्विक राजनीतिक एवं आर्थिक स्थितियों की समीक्षा की और तय किया कि ऐसे मुद्दों पर सामरिक संचार और वार्ता प्रक्रिया मजबूत की जाएगी।
दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए कि खुली बहुपक्षीय कारोबार प्रणाली और संरक्षणवाद से निपटने के मामलों में भारत और चीन के साझा हित हैं । दोनों देशों ने व्यापार, संस्कृति और जल संसाधन सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के आठ समझौतों पर आज दस्तखत किये।
बयान समाप्त करने से पहले सिंह ने कहा कि ली का स्वागत कर उन्हें काफी प्रसन्नता हुई। उन्होंने उम्मीद जतायी कि दोनों देशें के बीच संबंधों को मजबूत करने और इसे नयी उंचाइयों तक पहुंचाने में ली का नेतृत्व दूरगामी भूमिका निभाएगा।
सिंह ने कहा कि वह ली से फिर शीघ्र ही मिलना चाहेंगे और उन्होंने जल्द से जल्द चीन यात्रा पर आने के ली के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है । ली ने कहा कि चीन और भारत के बीच परस्पर सामरिक भरोसे के बिना शांति और क्षेत्रीय स्थिरता हकीकत नहीं बन सकती। राष्ट्रपति भवन में गार्ड आफ आनर का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी मौजूदा भारत यात्रा के तीन उद्देश्य हैं : परस्पर विश्वास बढाना, सहयोग बढाना और भविष्य का सामना करना। ली ने उम्मीद जतायी कि दोनों देश परस्पर सामरिक विश्वास को बढाएंगे। (एजेंसी)