नई दिल्ली : मुल्लापेरियार बांध विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की सोमवार यहां बैठक हुई, जिसमें तमिलनाडु और केरल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने अपने-अपने विचार रखे और पैनल से कहा कि वह अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले उनकी बात सुने। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एएस आनंद की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा इस विवादास्पद मुद्दे पर फरवरी 2012 में रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना है।
आज की बैठक में केरल ने समिति को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया है कि इडुक्की जिले में अक्सर आने वाले भूकंप के झटकों से बांध को नुकसान हो रहा है और रिपोर्ट को अंतिम रूप दिए जाने से पूर्व राज्य का पक्ष सुना जाए। 116 साल पुराना मुल्लापेरियार बांध इडुक्की जिले में स्थित है। तमिलनाडु ने समिति के समक्ष कहा कि नए बांध की कोई जरूरत नहंी है तथा मौजूदा बांध का जल स्तर सुप्रीम कोर्ट के 2006 के निर्देशों के अनुसार मौजूदा 136 फुट से बढ़ाकर 142 फुट किया जाना चाहिए।
दोनों राज्यों द्वारा अपनी बात कहे जाने के बाद समझा जाता है कि समिति ने उन्हें बताया कि वह किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले दोनों का पक्ष सुनेगी।
उधर, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुल्लापेरियार बांध मुद्दे पर सुनवाई यह कहते हुए मार्च तक स्थगित कर दी कि वह सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त अधिकार संपन्न समिति की रिपोर्ट सौंपे जाने तक इंतजार करेगा।
(एजेंसी)