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नई दिल्ली : अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘टाइम’ ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास का मॉडल की प्रशंसा करते हुए कहा है कि कभी भारत के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल रहा यह राज्य अब पूरे हिंदुस्तान में सुधारों का ‘मॉडल’ बन गया है।
टाइम पत्रिका की दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख ज्योति थॉटम ने नीतीश के बारे में लिखा है, ‘एक समय में बिहार में लोगों को सरकार से मदद मिलने की कोई आशा नहीं रह गई थी। दशकों तक यह राज्य गरीबी, हिंसा और भ्रष्टाचार के लिए एक कहावत बन गया था लेकिन यह स्थिति वर्ष 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक ही थी।’
पत्रिका ने अपनी विशेष रिपोर्ट ‘किस तरह से नीतीश कुमार ने बिहार को भारतीय सुधारों के मॉडल के रूप में बदला’ में बताया है कि किताबों में डूबे रहने वाले और आदर्शवादी सोच के इंजीनियरिंग के छात्र रहे नीतीश कुमार ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में आडंबररहित जीवन और सशक्त नेतृत्व वाली छवि बनाई।
'टाइम' ने कहा, ‘कुमार का सुशासन का फार्मूला ईमानदारी, प्रभावकारी कदमों पर आधारित है। उन्होंने त्वरित अदालतों का गठन किया जिसने तीन सांसदों समेत करीब 66 हजार अपराधियों को सजा दी। नीतीश ने सड़कों के निर्माण पर काफी मेहनत की और पांच साल के अंदर करीब 33 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण कराया।’
पत्रिका ने कहा, ‘सड़कों के इस जाल के साथ बेहतर सुरक्षा की वजह से बिहार की अर्थव्यवस्था वर्ष 2006 से 11 प्रतिशत की वाषिर्क दर से कुलांचे भर रही है। यह राज्य औद्योगिक पॉवरहाउस कहे जाने वाले गुजरात राज्य के बाद अब भारत में दूसरे नंबर पर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब आधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार को निशाना बना रहे हैं जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा है। भविष्य में प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जाने वाले नीतीश कुमार का मानना है कि प्रगति हासिल करने के लिये न्याय का बलिदान नहीं दिया जाना चाहिये और इस मामले में बिहार पूरे देश को एक रास्ता दिखा सकता है।’’
पत्रिका के अनुसार दोहरे अंकों में विकासदर हासिल करना कभी भी नीतीश कुमार का लक्ष्य नहीं रहा। जब वह पहली बार वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बने थे तब वह ऐसे उम्मीदवार थे जिनके पास केवल एक मुद्दा था। नीतीश ने एक सवाल के जवाब में टाइम से कहा था, मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। मैं कहूंगा कि कानून का शासन स्थापित किया जाएगा। अपराधियों से मुकाबला करने के लिए नीतीश कुमार ने पुलिसकर्मियों की हजारों खाली सीटों को भरा और कानून को लागू करने में राजनीतिक हस्तक्षेप को समाप्त किया। जैसे ही सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई वैसे ही किसान अपने अनाज, उत्पादों और दूध को बिना किसी भय के बाजार में पहुंचाने लगे। दुकानदार ज्यादा देर तक अपनी दुकाने खोलने लगे हैं और लोग अब देर शाम तक घर से निकलने से नहीं डरते।’
'टाइम' ने कहा कि नीतीश कुमार की छात्राओं को साइकिल देने की योजना का देशभर में अनुसरण किया गया और इसने लड़कियों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बिहार ऐसा पहला राज्य है जिसने लोकसेवा अधिकार कानून पूरी तरह से लागू किया है। पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये नीतीश ने प्रत्येक मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाहों से संपत्ति की घोषणा करने के लिये कहा। हाल ही में अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप का सामना कर रहे एक प्रभावशाली नौकरशाह के घर को ‘प्राथमिक स्कूल’ में बदल दिया गया। (एजेंसी)