नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 25 मार्च के विवादास्पद नोट पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का बचाव करते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कहा कि फाइल देखने का अर्थ इसे मंजूर करना नहीं होता है।
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव आर. गोपालन गुरुवार को लगातार दूसरी बार समिति के समक्ष उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि हालांकि 25 मार्च 2011 के आंतरिक नोट को मुखर्जी ने देखा था लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने इसे मंजूर किया।
भाजपा सदस्यों समेत अन्य के कई प्रश्नों का सामना करते हुए गोपालन ने कहा कि यह नोट विभिन्न सरकारी विभागों का मिलाजुला प्रयास था। अधिकारी से विधि मंत्रालय के उस विचार पर टिप्पणी करने को कहा गया था जिसमें ‘देखा गया’ को महज दस्तावेज देखने से आगे का मामला बताया था।
गौरतलब है कि विवादास्पद नोट में कहा गया है कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अगर चाहते तब टूजी स्पेक्ट्रम की नीलामी पर जोर दे सकते थे।