उत्तराखंड: 5000 लोगों के मरने की आशंका, 10 हजार अब भी फंसे

उत्तराखंड के प्राकृतिक आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ने रविवार को आशंका जतायी कि इस आपदा में कम से कम 5000 व्यक्तियों की मृत्यु हो सकती है जबकि बचावकर्मियों ने सड़क और हवाई मार्ग से राज्य में विभिन्न जगहों पर फंसे हुए और 12 हजार लोगों को निकाल लिया।

देहरादून : उत्तराखंड के प्राकृतिक आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ने रविवार को आशंका जतायी कि इस आपदा में कम से कम 5000 व्यक्तियों की मृत्यु हो सकती है जबकि बचावकर्मियों ने सड़क और हवाई मार्ग से राज्य में विभिन्न जगहों पर फंसे हुए और 12 हजार लोगों को निकाल लिया। बहरहाल, अब भी 10 हजार लोग वहां फंसे हुए हैं जिन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाए जाने की जरूरत है।
बाढ़ और भूस्खलन का केन्द्र रहे केदारनाथ घाटी में फंसे सभी लोगों को बाहर निकाल लिया गया है। रुक-रुक कर जारी बारिश के बीच चल रहे बचाव अभियान के तहत 12 हजार तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बचाया गया है।
मौसम विभाग की ओर से उत्तराखंड में कल मौसम खराब रहने की चेतावनी दिए जाने के बाद बचाव अभियान में जुटी तमाम एजेंसियों, थल सेना, वायुसेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ आदि ने बद्रीनाथ सहित तीन इलाकों में फंसे 10 हजार लोगों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य शुरू कर दिया है। खराब मौसम के कारण कुछ देर के लिए हवाई अभियानों को भी बंद करना पड़ा।
आपदाग्रस्त इलाकों का सर्वेक्षण करने के बाद यहां जॉलीग्रांट हवाइअड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुये मंत्री आर्य ने कहा, ‘बड़े इलाके में विशेष तौर पर केदारनाथ घाटी में, भारी तबाही हुई है और इस हादसे में कम से कम पांच हजार लोग मारे गये होंगे।’
राज्य में आधिकारिक तौर पर अब तक 680 लोगों के मरने की पुष्टि की गयी है। हालांकि, मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि मृतकों की संख्या 1000 के आंकड़े को पार कर सकती है।
आर्य ने हालांकि कहा कि मृतकों की सही-सही संख्या तो अभी नहीं बतायी जा सकती है लेकिन आशंका है कि करीब 5000 लोगों की मृत्यु हुई है।
नई दिल्ली में पत्र सूचना कार्यालय की महानिदेशक नीलम कपूर ने बताया कि आज बचाए गए 12 हजार लोगों को मिलाकर अभी तक 80 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है जबकि अभी भी 10 हजार लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय वायु सेना के अभियान में 45 हेलीकॉप्टरों ने अपने 250 उड़ानों में करीब 3,200 लोगों को वहां से निकाला है।
एनडीआरएफ ने विभिन्न इलाकों में जीवित बचे लोगों का पता लगाने के लिए अपने मानवरहित विमान ‘नेत्र’ को काम पर लगाया है। एनडीआरएफ के उपमहानिरीक्षक एस. एस. गुलेरिया ने कहा कि ‘नेत्र’ कल भी काम करेगा ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सभी जीवित बचे लोगों को पता लगाया जा सके और उन्हें वहां से बाहर निकाला जा सके ।
लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के इस काम के लिए रस्सी के पुल और पैदल रास्ते बनाए जा रहे हैं। वहां फंसे हुए लोगों के लिए यह अंधेरे में ‘आशा की किरण’ है।
अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ घाटी से सभी लोगों को निकाल लिया गया है जबकि बद्रीनाथ, जंगलचट्टी, और हषिर्ल इलाके में फंसे तीन हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षा बलों ने आज सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। केदारनाथ मंदिर के आसपास के इलाके में अभी भी कई शव पड़े हुए हैं। वहां का दृश्य बड़ा विभत्स है। (एजेंसी)

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