काचरू रैगिंग मामले की सुनवाई शुरू
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काचरू रैगिंग मामले की सुनवाई शुरू

मेडिकल छात्र अमन काचरू की रैगिंग के दौरान मौत के मामले की सुनवाई लगभग दो साल बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में शुरू हो गई है। इस मामले पर अब तक छह न्यायाधीश अपनी राय दे चुके हैं। यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है क्योंकि काचरू के कथित हत्यारे जेल की अपनी सजा पूरी कर चुके हैं और इस समय जेल से बाहर हैं।

शिमला : मेडिकल छात्र अमन काचरू की रैगिंग के दौरान मौत के मामले की सुनवाई लगभग दो साल बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में शुरू हो गई है। इस मामले पर अब तक छह न्यायाधीश अपनी राय दे चुके हैं। यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है क्योंकि काचरू के कथित हत्यारे जेल की अपनी सजा पूरी कर चुके हैं और इस समय जेल से बाहर हैं।
राज्य सरकार आरोपियों की सजा बढ़ाना चाह रही है जबकि आरोपी इस जिद पर अड़े हैं कि उन्हें निर्दोष घोषित किया जाए। यह मामला बुधवार को न्यायमूर्ति आर.बी. मिश्रा और न्यायमूर्ति सुरिंदर सिंह की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लाया गया था। दो घंटे से अधिक समय तक चली सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील आर.एस. चीमा ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दलील दी। इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 दिसम्बर तय की गई है।
इस घटना के लगभग दो वर्ष गुजर चुके हैं। धर्मशाल की त्वरित अदालत ने कांगड़ा जिले के टांडा स्थित राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के चार छात्रों को गैरइरादतन हत्या का दोषी करार दिया था और उन्हें चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई हुई। इससे पहले उच्च न्यायालय के 11 में से छह न्यायाधीशों ने खुद को इस मामले से दूर रखा था, जिससे सारा देश हिल गया था।
20 महीनों की सुनवाई के बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुरिंदर वैद्य ने अजय वर्मा, नवीन वर्मा, अभिनव वर्मा और मुकुल शर्मा को 11 नवम्बर 2010 को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 द्वितीय (गैरइरादतन हत्या), 452 (बंद कमरे में सुनियोजित ढंग से पिटाई), 34 (साझा इरादा) और 342 (गलत इरादे से कमरे में कैद रखना) के तहत दोषी करार दिया था। अमन (19) 2007 से ही मेडिकल कालेज में था। चार वरिष्ठ छात्रों ने नशे की हालत में उसकी रैगिंग की थी, जिससे आठ मार्च 2009 को उसकी मौत हो गई थी।
याचिकाकर्ताओं में से एक नवीन ने कहा कि इस मामले की सुनवाई को इलेक्ट्रॉनिक और पिंट्र मीडिया, दोनों ने उजागर किया था। मीडिया में खबरें आने से फैसला प्रभावित हुआ था। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने दो बिंदुओं पर फैसले को चुनौती दी। पहला यह कि वरिष्ठ छात्रों ने रैगिंग की आड़ में अमन की बेरहमी से पिटाई की, इसलिए राज्य सरकार ने गैरइरादतन हत्या नहीं, बल्कि हत्या का आरोप लगाते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत कड़ी सजा की मांग की। दूसरा यह कि निचली अदालत ने सजा तय करते समय उदारता दिखाई है।
राज्य सरकार ने हालांकि इस वर्ष 15 अगस्त को दोषी छात्रों को दोषमुक्त कर दिया, जबकि उनकी चार वर्ष सश्रम कारावास की सजा पूरी होने में सात महीने बाकी थे।
दिल्ली के निकट गुड़गांव में रह रहे अमन के पिता राजेंद्र काचरू ने चारों छात्रों की रिहाई पर कहा था, "आज मैं निरुत्साहित हूं क्योंकि मेरे बेटे के कातिलों को रिहा कर दिया गया है लेकिन मैं देश के सभी छात्रों को यह संदेश देने का प्रयास कर रहा हूं कि रैगिंग जैसा अपराध बर्दाश्त नहीं होगा, भले ही हिमाचल प्रदेश सरकार इसे कमतर आंके। उल्लेखनीय है कि राजेंद्र काचरू विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से राष्ट्रीय रैगिग रोकथाम कार्यक्रम की निगरानी कर रहे हैं। (एजेंसी)

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