चिटफंड घोटाले से सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रही हैं ममता
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चिटफंड घोटाले से सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रही हैं ममता

तृणमूल कांग्रेस सरकार भले ही अपने शासन के तीसरे साल में कदम रख रही है लेकिन करोड़ों रूपए के चिटफंट घोटाले को लेकर वह एक बहुत बड़ी चुनौती से जूझ रही है। इस घोटाले ने राज्य में लाखों लोगों पर बुरा असर डाला है।

कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस सरकार भले ही अपने शासन के तीसरे साल में कदम रख रही है लेकिन करोड़ों रूपए के चिटफंट घोटाले को लेकर वह एक बहुत बड़ी चुनौती से जूझ रही है। इस घोटाले ने राज्य में लाखों लोगों पर बुरा असर डाला है। सारदा समूह और इस तरह की कई छोटी चिटफंड कंपनियों के डूब जाने के बाद कई निवेशकों एवं एजेंटों ने आत्महत्या कर ली हेै। एक ऐसी ही कंपनी के निदेशक की हत्या कर दी गयी। इस तरह, इसकी वजह से मरने वाले लोगों की संख्या 14 हो गयी है।
विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस समर्थक मीडिया घराने इन चिटफंड कंपनियों द्वारा चलाए जाते हैं तथा सारदा समूह के साथ तृणमूल सांसद कुणाल घोष एवं पार्टी नेतृत्व के एक वर्ग की कथित साठगांठ की वजह से निवेशक इस धोखाधड़ी के शिकार हुए।
इस घोटाले की गंभीरता इस बात से आंकी जा सकती है कि इसकी जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने जो श्यामल सेन आयोग बनाया है उसे शारदा समूह के एजेंटों एवं निवेशकों से 60 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं।
विपक्षी कांग्रेस एवं वामदलों ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी। हालांकि पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी महसूस करते हैं कि चिटफंड मुद्दे से पार्टी का ग्रामीण वोट बैंक अप्रभावित रहेगा।
मुखर्जी ने कहा, ‘‘नुकसान को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ठगे गए निवेशकों के लिए 500 करोड़ रूपए की निधि के गठन की घोषणा की है एवं चिटफंड विरोधी विधेयक पर राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है।’’ मुख्यमत्री ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का भी वादा किया है।
एक अन्य मुद्दा जो राज्य सरकार को परेशान कर रहा है, वह है पंचायत चुनाव का आयोजन। इसकी वजह से राज्य चुनाव आयोग से उसकी भिडंत हो गयी है और मामला अदालत पहुंच गया। दिल्ली में ममता बनर्जी का घेराव और वित्त मंत्री अमित मित्रा के साथ धक्का मुक्की के बाद प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय की बेकर प्रयोगशाला में 10 अप्रैल को जो तोड़फोड़ हुई, वह बात लोगों को हजम नहीं हुई।
पहले तृणमूल कांग्रेस पर विपक्ष ने आलोचना के प्रति असहिष्णु रवैया अपनाने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री का उपहास करने वाले कार्टून को लेकर जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा और ममता से सवाल करने पर किसान शिलादित्य चौधरी की गिरफ्तारी हुई थी। पश्चिम बंगाल में महिलाओं के विरूद्ध अपराधों में भी इजाफा हुआ। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ने 2012 की अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया।
देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों (बलात्कार समेत) में 12.7 फीसदी अपराध पश्चिम बंगाल में होते हैं। माओवाद प्रभावित जंगलमहल में और दार्जीलिंग में शांति के साथ अच्छी शुरूआत करने वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार खस्ता वित्तीय हालत के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है।
ममता बनर्जी ने बार बार कहा कि उन्हें पिछली वाम मोर्चा सरकार से विरासत के रूप में दो करोड़ रूपए का ऋण का बोझ मिला और उन्होंने संप्रग पर राज्य को आर्थिक रूप से वंचित रखने का आरोप लगाया। तृणमूल सरकार ने दावा किया कि आर्थिक समस्या के बाद भी उसकी नीतियों के कारण उसने पिछले वित्त वर्ष में 7.6 की विकास दर हासिल की जबकि राष्ट्रीय औसत विकास दर 4.96 फीसदी है। (एजेंसी)

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