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ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बॉलीवुड अभिनेता श्यान मुंशी और एक बैलिस्टिक विशेषज्ञ के खिलाफ सनसनीखेज जेसिका लाल हत्याकांड में अपने बयान से पलटने को लेकर मुकदमा चलाने का आदेश दिया। इस अपराध के लिए उन्हें अधिकतम सात साल की जेल की सजा हो सकती है।
हाईकोर्ट ने 17 अन्य गवाहों को मुकदमे में झूठी गवाही देने के आरोप से बरी कर दिया। लेकिन अदालत ने अपने रजिस्ट्रार जनरल से मुंशी और बैलिस्टिक विशेषज्ञ पी.एस. मनोचा के खिलाफ निचली अदालत में शिकायत दायर करने को कहा।
न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति जी.पी. मित्तल की पीठ ने कहा, ‘इस अदालत के रजिस्ट्रार जनरल प्रतिवादियों (मुंशी और मनोचा) के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मामले पर विचार करने और कार्रवाई करने का अधिकार रखने वाली सक्षम अदालत के समक्ष शिकायत दायर करें।’ हाईकोर्ट ने दिसंबर 2006 में जेसिका लाल हत्याकांड में फैसला सुनाने के दौरान मामले में गवाहों के अपने बयान से मुकरने पर स्वत: संज्ञान लिया था और अभियोजन पक्ष से पूछा था कि मुकदमे के दौरान कैसे उन्होंने रवैया बदला।
पीठ ने गवाहों की सुरक्षा का मुद्दा भी मुख्य न्यायाधीश को भेजा था जिसे जनहित याचिका के तौर पर लिया गया है। पीठ ने कहा, ‘रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का आदेश हासिल करने के बाद मामले को 8 जुलाई को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें।’ जेसिका लाल की हरियाणा कांग्रेस के नेता विनोद शर्मा के पुत्र मनु शर्मा ने तब गोली मारकर हत्या कर दी थी जब उन्होंने दक्षिण दिल्ली में सोशलाइट बीना रमानी के रेस्त्रां टैमरिंड कोर्ट में देर रात आयोजित पार्टी में उन्हें शराब परोसने से मना कर दिया था। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए मनु शर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने मनु शर्मा को बरी कर दिया था।
मुंशी ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मुंशी ने अदालत के समक्ष यह कहते हुए अपने खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने की मांग की थी, ‘उन्हें बयान से मुकरा हुआ नहीं कहा जा सकता क्योंकि शीर्ष अदालत ने भी आरोपी को दोषी ठहराने में उनकी गवाही के कुछ हिस्से का इस्तेमाल किया था।’ मामले के शिकायतकर्ता मुंशी ने मुकदमे के दौरान शिकायत को अपना मानने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह हिंदी नहीं जानते।