त्रिपुरा में लेफ्ट, मेघालय में कांग्रेस, नगालैंड में NPF की फिर बनेगी सरकार

त्रिपुरा की सत्ता पर बीते दो दशक से आसीन वाम मोर्च ने लगातार पांचवीं बार बड़ी जीत दर्ज की है। नगालैंड में नगा पीपल्स फ्रंट ने 38 सीटों पर जीत दर्ज कर दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया और पार्टी अब राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने को तैयार है। मेघालय विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ कांग्रेस-यूडीपी गठबंधन 37 सीटें जीत कर फिर से बहुमत प्राप्त कर लिया है।

अगरतला/शिलांग/कोहिमा : त्रिपुरा की सत्ता पर बीते दो दशक से आसीन वाम मोर्च ने लगातार पांचवीं बार बड़ी जीत दर्ज की है। नगालैंड में नगा पीपल्स फ्रंट ने 38 सीटों पर जीत दर्ज कर दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया और पार्टी अब राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने को तैयार है। मेघालय विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ कांग्रेस-यूडीपी गठबंधन 37 सीटें जीत कर फिर से बहुमत प्राप्त कर लिया है।
वाम मोर्चा त्रिपुरा विधानसभा में शानदार जीत हासिल करते हुए राज्य में पांचवीं बार सत्तासीन होने जा रहा है। गुरुवार को आए चुनाव परिणाम ने सबको चौंका दिया है। वाम मोर्चे ने विधानसभा की 60 में से 50 पर कब्जा जमा लिया है जबकि प्रतिपक्षी कांग्रेस को महज 10 सीटों से संतोष करना पड़ा। चुनाव परिणाम सामने आने के बाद वामपंथी पार्टियों, खासकर मार्क्स वादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ता पूरे राज्य में उत्सव मना रहे हैं, जबकि कांग्रेस के खेमे में सन्नाटा पसरा हुआ है।
माकपा ने 49 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि उसकी सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने एक सीट पर जीत हासिल की है। 1978 के बाद वाम मोर्चा के लिए इस बार का परिणाम बेहतर साबित हुआ है। 1978 में मोर्चा ने 56 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2008 के विधानसभ चुनाव के मुकाबले मोर्चा ने इस बार एक सीट ज्यादा जीती है।
जीत से प्रसन्न मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा, लोगों ने विकास, शांति और स्थायित्व के अलावा सुशासन के पक्ष में मतदान किया।" वर्ष 1998 से ही राज्य में शासन चला रहे 64 वर्षीय माणिक सरकार धानपुर सीट से छठी बार जीते हैं। वे अकेले ऐसे नेता हैं जो चौथी बार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद पर काबिज होंगे।
कांग्रेस जहां मात्र 10 सीटें बरकरार रखने में कामयाब रही, वहीं उसकी सहयोगी इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) को निराशा हाथ लगी है। पांच साल पहले इसने एक सीट पर जीत हासिल की थी।
तृणमूल कांग्रेस ने 2008 में 22 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, लेकिन गैर वामो मतों के विभाजन को रोकने के लिए इस बार के चुनाव में उसने एक भी प्रत्याशी खड़ा नहीं किया। उसके 'बैकफुट' पर जाने का भी हालांकि कांग्रेस को फायदा नहीं मिल पाया।
शिक्षक से राजनेता बने 75 वर्षीय अनिल सरकार कवि और लेखक भी हैं। उन्होंने नौवीं बार चुनाव जीतकर रिकार्ड कायम किया। वह माकपा के टिकट पर पश्चिमी त्रिपुरा के प्रतापगढ़ से फिर निर्वाचित हुए हैं। उल्लेखनीय है कि त्रिपुरा में वाम मोर्चा 1978 से ही सत्ता पर काबिज है। यह मोर्चा सिर्फ एक बार (1988-93 के दौरान) सत्ता से दूर रहा था।
नगालैंड में नगा पीपल्स फ्रंट ने 38 सीटों पर जीत दर्ज कर दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया और पार्टी अब राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने को तैयार है। नगा पीपल्स फ्रंट ने 38 सीटें जीतीं हैं। पार्टी ने पिछली बार के मुकाबले 12 सीटें अधिक जीतीं। पिछली बार इसे 26 सीटें मिली थीं।
वहीं कांग्रेस की झोली में इस बार आठ सीट ही आ पायीं। पिछली बार कांग्रेस ने राज्य में 18 सीटें जीती थीं। एनपीएफ के सहयोगी दल जदयू और भाजपा ने एक एक सीट जीती । वहीं राकांपा ने 15 सीटों पर मुकाबला किया जिसमें से उसे सिर्फ चार सीटों पर ही जीत मिली।
लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद राज्य में खाता खोलने में नाकाम रही। वहीं इस चुनाव में आठ निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत का स्वाद चखा। राज्य में 60 में से 59 सीटों पर मतदान हुआ था। राज्य की तेउनसांग सदर पर चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस उम्मीदवार पी चुबा चांग के निधन के कारण चुनाव रद्द कर दिये गये थे।
एनपीएफ के कद्दवार नेता मुख्यमंत्री नीफीयु रियो ने लगातार छठीं बार उत्तरी अंगामी सीट पर जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार केविस सोगोत्सु को 12671 मतों के अंतर से पराजित किया। नगालैंड के पूर्व गृहमंत्री और एनपीएफ के उम्मीदवार इमकोंग एल इंपचेन ने निर्दलीय उम्मीदवार टी चालुकुंबा आओ को 5735 मतों से हराया।
लोकसभा सदस्य सी एम चांग ने भी नोकसेन से जीत दर्ज की। विधानसभा अध्यक्ष कियानिली पेसेयि ने पश्चिमी अंगामी सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार असु किहो को हराकर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की।
वहीं एनपीएफ के राज्यसभा सदस्य खेकिहो झिमोमी, वन मंत्री एम सी कोनयाक और शिक्षा मंत्री नीवांग कोनयाक को हार का स्वाद चखना पड़ा। कांग्रेस के जीतने वालों में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष एस आई जमीर और विपक्ष के नेता तोखेहो येपथोमी के नाम शामिल हैं। इस बार भी राज्य की विधानसभा में कोई महिला उम्मीदवार अपनी जगह नहीं बना पायी।
मेघालय में विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ कांग्रेस-यूडीपी गठबंधन 37 सीटें जीत कर फिर से बहुमत हासिल कर लिया। कांग्रेस ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि उसकी सहयोगी यूडीपी को आठ सीटें मिली हैं। कांग्रेस ने 2008 विधानसभा चुनावों के मुकाबले अपनी सीटों में इजाफा किया है। उस समय उसने 25 सीटें जीती थीं।
राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों कांग्रेस मुखिया डी डी लापांग ने नोंगपोह, पूर्व मुख्यमंत्री एस सी मारक ने रेसुबेलपाड़ा और यूडीएफ अध्यक्ष दोनकुपर रॉय ने शेला सीट से जीत दर्ज की। मौजूदा मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने भी अमपाटी सीट पर एनपीपी के जी मोमीन को नौ हजार से भी अधिक मतों से हराया। उनकी पत्नी डीडी शिरा और भाई जेनिथ संगमा ने भी अपनी अपनी सीटों पर जीत दर्ज की।
कांग्रेस की सहयोगी युनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) ने आठ स्थानों पर जीत दर्ज की और हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) ने भी चार सीटें जीत लीं। कुल 122 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 13 ने जीत दर्ज की है।
मुख्य चुनाव अधिकारी पी नायक ने पीटीआई को बताया कि सभी मतगणना स्थलों पर मतगणना पूरी हो चुकी है। कैबिनेट मंत्री एच डी आर लिंगदोह और प्रिस्टोन तिनसोंग क्रमश: सोहिओंग और पिनुरसला सीटों पर फिर से वापसी करने में कामयाब रहे हैं। साथ ही आर सी लालू और ए एल हेक ने भी अपनी अपनी सीट पर जीत दर्ज की।
मेघालय में निवर्तमान विधानसभा की इकलौती महिला विधायक अमपरीन लिंगदोह पूर्वी शिलांग सीट-16 से फिर जीत गई हैं। उन्होंने यहां पूर्व मुख्यमंत्री बी एम लिंगदोह को चार हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया।
एचएसपीडीपी के प्रमुख होपिंगस्टोन लिंगदोह वेस्ट खासी हिल्स जिले में नोंगस्टोइन सीट पर 1972 के चुनाव के बाद से लगातार आठवीं बार जीत दर्ज कर चुके हैं। राज्य में 23 फरवरी को मतदान हुआ था। यहां आज कुल 345 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला हुआ। (एजेंसी)

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