पृथक तेलंगाना : तीन कांग्रेस सांसदों ने अपनी ही पार्टी को दिया अल्टीमेटम
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पृथक तेलंगाना : तीन कांग्रेस सांसदों ने अपनी ही पार्टी को दिया अल्टीमेटम

तेलंगाना क्षेत्र के तीन कांग्रेसी सांसदों ने रविवार को एक नई समय सीमा तय करते हुए पार्टी नेतृत्व से पृथक राज्य के मुद्दे पर 30 मई तक कोई सकारात्मक निर्णय लेने का आह्वान किया।

हैदराबाद : तेलंगाना क्षेत्र के कांग्रेसी सांसदों ने रविवार को एक नई समय सीमा तय करते हुए पार्टी नेतृत्व से पृथक राज्य के मुद्दे पर 30 मई तक कोई सकारात्मक निर्णय लेने का आह्वान किया। लोकसभा सदस्य जी. विवेक, मंडा जगन्नाथम और एस. राजैया ने यहां एक बैठक की, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता के. केशव राव ने भी हिस्सा लिया। बाद में जगन्नाथम ने पत्रकारों को बताया कि यदि पार्टी 30 मई तक कोई अनुकूल निर्णय नहीं लेती है, तो वे लोग पार्टी छोड़ आंदोलन में शामिल हाने से नहीं हिचकेंगे।
सांसदों ने कांग्रेस के प्रवक्ता पी.सी. चाको के बयान की निंदा की। प्रवक्ता ने कहा था कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के राष्ट्रीय एजेंडे में तेलंगाना शामिल नहीं है। नगरकुरनूल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले जगन्नाथम ने कहा, `हम बयान की कड़ी भर्त्सना करते हैं। यह एक तरह से तेलंगाना के लोगों का अपमान है।` उन्होंने चाको से अपने बयान के लिए माफी मांगने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि विगत में वे लोग कई समय सीमा तय कर चुके हैं। लेकिन 30 मई की समय सीमा अंतिम होगी।
तीनों सांसदों की तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) में शामिल होने की संभावना है। विगत में नेतृत्व उनसे तेलांगना पर निर्णय आने की प्रतीक्षा करने के लिए कह चुका है। इस क्षेत्र के अन्य कांग्रेसी सांसदों के रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह उन्हें तय करना है।
उस्मानिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने रविवार को चाको के बयान की निंदा करते हुए कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय गांधी भवन को घेरने का प्रयास किया था। प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस विरोधी नारा लगाने के अलावा कांग्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी का पुतला भी फूंका था। छात्रों ने तेलांगना के सभी कांग्रेसी सांसदों से इस्तीफे की मांग की थी।
टीआरएस के नेता बी. विनोद कुमार ने भी चाको के बयान की खिल्ली उड़ाई। उन्होंने कहा कि तेलंगाना संप्रग के न्यूनतम साझा कार्यक्रम का हिस्सा रहा है। कुमार ने कहा, `यदि कांग्रेस तेलंगाना को अलग राज्य बनाना नहीं चाहती तो उसे साफ बोलना चाहिए। यह कहना कि यह मुद्दा राष्ट्रीय एजेंडे में शामिल नहीं है, बिल्कुल गलत है।` (एजेंसी)

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