मांग पर अड़े जल सत्याग्रही, बैरंग लौटे मंत्री

मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर व इंदिरा सागर बांध के विस्थापितों द्वारा किए जा रहे जल सत्याग्रह को खत्म कराने की राज्य सरकार की ओर से की गई कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है।

भोपाल : मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर व इंदिरा सागर बांध के विस्थापितों द्वारा किए जा रहे जल सत्याग्रह को खत्म कराने की राज्य सरकार की ओर से की गई कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है।
सत्याग्रहियों ने वादों पर भरोसा करने से इंकार कर दिया है और नतीजे आने पर ही सत्याग्रह खत्म करने का ऐलान कर दिया है। ओंकारेश्वर व इंदिरा सागर बांध में ज्यादा पानी भरे जाने से कई गांवों पर डूबने के खतरे के बीच खंडवा के घोघलगांव व हरदा के खरदना में जल सत्याग्रह चल रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोघलगांव में चल रहे इस सत्याग्रह पर प्रभावितों की समस्या जानने के लिए शनिवार को दो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय व विजय शाह को भेजा था, मगर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा ।
सत्याग्रह कर रहे प्रभावितों को मंत्रियों ने आश्वासन दिया कि आगामी दो दिनों में उनकी मांगों पर सरकार सकारात्मक पहल करेगी।
वहां मौजूद सत्याग्रहियों से मंत्रियों की बहस तक हुई, आंदोलनकारियों की मांग है कि पहले निर्णय सामने आए उसके बाद ही वे नर्मदा के जल से बाहर निकलेंगे।
जल सत्याग्रह कर रही चितरुपा पालित ने चर्चा के दौरान सरकार व सरकारी अमले पर प्रभावितों की हत्या करने का षड़यंत्र रचने का आरेाप तक लगा डाला। जब उन्होंने गुजरात में नरेंद्र मोदी के अल्प संख्यकों पर किए गए कथित अत्याचार की तुलना राज्य सरकार के रवैए से की तो वहां मौजूद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भड़क उठे।
इस पर तीखे नोकझोंक की स्थिति बन गई। आखिर में दोनों मंत्रियों का खाली हाथ लौटना पड़ा। नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधि आलोक अग्रवाल ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें चर्चा करने में कोई एतराज नहीं है, मगर चर्चा से निर्णय सामने आना चाहिए।
उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय और शिकायत निवारण प्राधिकरण द्वारा विस्थापितों के लिए तय किए गए मापदंडों का राज्य सरकार लगातार उल्लंघन कर रही है। जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा। (एजेंसी)

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