गाजियाबाद : सीबीआई के एक अधिकारी ने आरूषि मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत में बुधवार को जिरह के दौरान खुलासा किया कि आरूषि-हेमराज हत्या मामले में नुपूर तलवार के खिलाफ सुबूत थे, लेकिन जांच एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें उसे गिरफ्तार करने से रोका।
इस सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड की जांच करने वाले दूसरे दल का नेतृत्व करने वाले सीबीआई के अतिरिक्त एसपी एजीएल कौल से बचाव पक्ष के वकील ने पूछा कि अगर आरूषि की मां के खिलाफ पर्याप्त सुबूत थे तो उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
इसपर कौल ने कहा कि उनके वरिष्ठ अधिकारी उप महा निरीक्षक नीलाभ किशोर उनकी बात से सहमत नहीं थे और उन्होंने उन्हें नुपूर को गिरफ्तार करने से रोका।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने किशोर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, कौल ने कहा वह :किशोर: मेरे वरिष्ठ थे और अगर उन्होंने इजाजत नहीं दी तो गिरफ्तारी नहीं हो सकती थी।
उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट को सौंपी गई क्लोजर रिपोर्ट में नुपूर तलवार की भूमिका का जिक्र किया गया था।
आज की कार्यवाही के साथ ही विशेष अदालत में कौल की गवाही पूरी हो गई। वह अदालत में पेश किए गए अभियोजन के अंतिम गवाह थे। सीबीआई के वकील आर के सैनी ने पीटीआई को यह जानकारी दी।
इससे पूर्व अपनी गवाही में कौल ने कहा था कि उनके पास राजेश के भाई दिनेश तलवार और उनके पारिवारिक मित्र सुनील चौधरी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद थे, लेकिन उनके वरिष्ठ अधिकारी किशोर और संयुक्त निदेशक जावेद अहमद का ख्याल था कि आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है इसलिए उन्होंने (कौल ने) अंतिम रिपोर्ट (क्लोजर) दाखिल की। कौल ने विशेष अदालत को कल बताया था कि जांच के अनुसार राजेश तलवार ने अपनी बेटी और घरेलू नौकर को ‘आपत्तिजनक स्थिति’ में देखा और अपनी गोल्फ स्टिक तथा एक तेज धार हथियार से उनकी जान ले ली।
14 बरस की आरूषि 16 मई 2008 को अपने बेडरूम में कटे हुए गले के साथ मृत पाई गई। हत्या का शुरूआती संदेह हेमराज पर गया, जिसका शव बाद में नोएडा के जलवायु विहार स्थित तलवार दंपति के घर की छत पर पड़ा मिला।
तलवार दंपति हत्या में शामिल होने की बात से इंकार कर रहे हैं और उनका दावा है कि वह इस मामले में निर्दोष हैं। (एजेंसी)