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नई दिल्ली : हिंदी सिनेमा की चर्चित पार्श्वगायिकाओं में से एक गीता दत्त ने करीब तीन दशक लंबे फिल्मी सफर में तरह-तरह के गीतों को स्वर दिया। सबसे ज्यादा उनके प्रेम गीतों ने विशेष प्रभाव छोड़ा और उनके निधन के करीब 40 साल बाद भी संगीतप्रेमियों पर उनका जादू कायम है।
गाने के दिलकश अंदाज की मलिका गीता दत्त ऐसी फनकार थीं जिन्हें हर तरह के गीत गाने में महारत हासिल थी। उन्होंने ऐसे दौर में अपनी अलग पहचान बनाई जब लता मंगेशकर के जादू की शुरूआत हो चुकी थी। गीता दत्त की गायकी काफी हद तक उनकी निजी जिंदगी से प्रभावित थी और उन्हें तमाम प्रकार का उतार चढ़ाव देखना पड़ा।
संगीत निर्देशक हनुमान प्रसाद ने गीता दत्त को सबसे पहले वर्ष 1946 में उन्हें फिल्म ‘भक्त प्रह्लाद’ में कोरस गीत गाने का मौका दिया। इस गीत में गीता दत्त को सिर्फ दो पंक्तियां ही गाने को मिली थी। लेकिन इसमें ही उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिखाया।
सचिन देव बर्मन ने भक्त प्रहलाद का गीत सुनकर उन्हें फिल्म ‘दो भाई’ में बड़ा मौका दिया। इसका गीत ‘मेरा सुंदर सपना बीत गया’ काफी पसंद किया गया। ‘बाजी’ फिल्म में गाने के दौरान उनकी मुलाकात उस जमाने के मशहूर निर्देशक गुरूदत्त से हुई। दोनों 1957 में शादी के बंधन में बंध गए और वह गीता रॉय से गीता दत्त हो गईं।
सचिन देव ने गीता की आवाज का ‘देवदास’, ‘प्यासा’ आदि फिल्मों में बेहतरीन इस्तेमाल किया। ‘बाजी’ में पश्चिमी धुनों पर आधारित गीत गाकर गीता ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से परिचय कराया। सचिन देव के अलावा ओपी नैयर के संगीत निर्देशन में भी गीता की गायकी काफी निखरी और 1950 के दशक में वह शीर्ष गायिकाओं में से एक हो गईं। गीता दत्त और ओपी नैयर की जोड़ी ने कई हिट गीत दिए। इन गीतों में ..सुन सुन सुन सुन जालिमा, ..बाबूजी धीरे चलना, ..ये लो मैं हारी पिया, ..मोहब्बत कर लो जी भर लो, ..ठंडी हवा काली घटा, ..जाने कहां मेरा जिगर गया जी, ..आंखों ही आंखों में इशारा हो गया, ..जाता कहां है दीवाने, ..मेरा नाम चिन चिन चू आदि शामिल हैं।
गीता दत्त और सचिन देव की जोड़ी ने भी कई लोकप्रिय गीत दिए। इस सूची में मेरा सुंदर सपना बीत गया, ..तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले, ..जाने क्या तूने कही जाने क्या मैंने सुनी, ..हम आपकी आंखों में इस दिल को बसा लें तो, ..वक्त ने किया क्या हसीं सितम आदि शामिल हैं। ओ पी नैयर ने एक बार कहा था कि गीता दत्त को पश्चिमी धुन में रचित गीत गाने के लिए दीजिए और इसके बाद शास्त्रीय अंदाज वाला गीत। वह दोनों के साथ बराबर का न्याय कर सकती हैं।
अविभाजित भारत के फरीदपुर में 23 नवम्बर 1930 को एक जमींदार परिवार में जन्मी गीता रॉय का वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय नहीं रहा। बाद में उनकी तबियत खराब रहने लगी और वह फिल्मों से दूर हो गईं। उनका 20 जुलाई 1972 को निधन हो गया। (एजेंसी)