ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को 218 कोयला ब्लॉक आंवटनों के भविष्य पर मंगलवार को फैसला करेगी। गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों अपने फैसले में कहा था कि नीलामी व्यवस्था से पहले 1993 से 2010 के बीच राजग और संप्रग सरकारों द्वारा किए गए कोयला ब्लाकों के सभी आबंटन गैरकानूनी तरीके से 'तदर्थ और लापरवाही' के साथ तथा बगैर 'दिमाग लगाए' किए गए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस फैसले के आलोक में ऐसे सभी कोयला खदानों का अंजाम क्या हो यह इस बारे में आगे और सुनवाई करने के बाद ही सोचा जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की खंडपीठ ने 218 कोयला खदानों के आबंटन की जांच पड़ताल की और कहा कि 'राष्ट्रीय संपदा के अनुचित तरीके से वितरण की प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता नहीं थी' जिसका खामियाजा लोकहित और जनहित को चुकाना पड़ा।
उधर, केंद्र सरकार ने सोमवार को 218 कोयला खदानों के आबंटन के मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में इन खदानों के आबंटन को गैरकानूनी घोषित किया था। सरकार ने इसके साथ ही न्यायालय से कहा कि चालू वर्ष में पांच करोड़ टन कोयले का उत्पादन करने के लिये करीब 40 खदानों में उत्पादन हो रहा है और छह अन्य खदानें भी इसके लिये तैयार हैं। कोयला मंत्रालय ने इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के एक मई के इन बयानों को भी शामिल किया है कि न्यायालय द्वारा गैरकानूनी घोषित किये गये आबंटनों को रद्द किये जाने पर सरकार को ‘आपत्ति नहीं’ है और वह नीलामी के लिये विशेष प्रकार को कोई तरीका अपनाने पर भी जोर नहीं दे रही है।
न्यायालय के निर्देश पर दाखिल हलफनामे में कोयला उत्पादन कर रही करीब 40 खदानों और 2014-15 के दौरान उत्पादन शुरू करने वाली संभावित छह खदानों का विवरण दिया गया है। हलफनामे में कहा गया है, ‘अनुमान है कि इनसे चालू वर्ष में करीब पांच करोड़ टन कोयले का उत्पादन होगा।’ कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादन कर रही इन 40 खदानों और खनन के लिये तैयार छह खदानों के बोरमें आबंटियों से मिली जानकारी का विवरण न्यायालय के समक्ष पेश किया। इसमें खनन का पट्टा, उत्पादन की शुरूआत और उत्पादन का अंतिम उपयोग तथा निवेश की जानकारी शामिल हैं।
उत्पादन कर रही इन 40 खदानों में से दो का आबंटन अल्ट्रा मेगा विद्युत परियोजना के लिये किया गया है जिन्हें 25 अगस्त के फैसले में गैरकानूनी घोषित नहीं किया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि छह खदानें जिनमें उत्पादन शुरू होने की संभावना है, उनका निर्धारण ‘कोयला नियंत्रक संगठन’ ने निर्धारण किया है क्योंकि इन ब्लाकों को कोयला खदन नियंत्रण अधिनियम 2004 के नियम नौ के तहत खदान शुरू करने की अनुमति मिल चुकी है। यह अनुमति खानन चालू करने की दिशा में अंतिम मंजूरी होती है।
गौर हो कि जनहित याचिकाओं में शुरु में करीब 194 कोयला खदानों के आबंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुये कहा गया था कि संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान हुये दिशानिर्देशों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया लेकिन बाद में शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई, 1993 से किये गये आबंटन को जांच के दायरे में ले लिया था।