2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार: नोमुरा

गोल्डमैन साक्श के बाद अब एक और विदेशी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा को भारत में मोदी लहर दिखायी दी है।

मुंबई: गोल्डमैन साक्श के बाद अब एक और विदेशी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा को भारत में मोदी लहर दिखायी दी है। ब्रोकरेज कंपनी ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की सरकार बनने की उम्मीद जतायी है।
जापानी ब्रोकरेज कंपनी में राजनीतिक विश्लेषक एलेस्टेयर न्यूटन ने कल एक नोट में कहा कि नोमुरा को उम्मीद है कि 2014 के चुनावों के बाद केंद्र में अगली सरकार भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन की होगी। हालांकि, न्यूटन ने अपने बयान को थोड़ा हल्का करते हुए यह भी कहा कि भाजपा या कांग्रेस किसी की अगुवाई में सरकार बने, एक स्थिर सरकार ही विकास गतिविधियों को आगे बढ़ा सकती है।
नोमुरा इंडिया की प्रमुख अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता स्थापित होने के साथ ही हमारा मानना है कि मंत्रिमंडल की निवेश समिति द्वारा पूर्व में मंजूर की गई निवेश परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जा सकता है। इससे मौजूदा निवेश परियोजनाओं का रास्ता साफ होगा। नोमुरा दूसरी बहुराष्ट्रीय ब्रोकरेज कंपनी है जिसने इस तरह का राजनीतिक बयान जारी किया है। इससे पहले गोल्डमैन साक्श ने देश में शीर्ष राजनीतिक पद के लिये मोदी की उम्मीदवारी का समर्थन किया था।
गोल्डमैन ने यह भी कहा कि बाजार में हाल की तेजी की वजह मोदी प्रभाव है और उसनें दिसंबर 2013 तक सेंसेक्स 23,000 तक पहुंचने का अनुमान जताया था। नोमुरा की सोनल ने कहा कि दीर्घकालीन निवेश का निर्णय करने वाली कंपनियों के लिये राजनीतिक स्थिरता तथा नीति की विश्वसनीयता जरूरी है। इससे पहले गोल्डमैन के मोदी को लेकर जारी वक्तव्य पर अनेक केन्द्रीय मंत्रियों की तीखी आलोचना झेलनी पड़ी थी। वरिष्ठ मंत्रियों ने एजेंसी से कहा कि वह अपने काम पर ध्यान दें और देश के राजनीतिक मुद्दों से दूर रहें।
सोनल वर्मा ने यह भी कहा कि तीसरे मोर्चे की सरकार या खंडित जनादेश से सुधार की गति धीमी पड़ सकती है और आर्थिक वृद्धि तेज होने की संभावना कम होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति दबाव को देखते हुए रिजर्व बैंक 2014 की पहली छमाही में नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत वृद्धि कर सकता है। नोमुरा का मानना है कि आर्थिक वृद्धि नीचे जा रही है, साथ ही राजनीतिक अनिश्चितता के बीच पूंजी चक्र कमजोर होने से मांग कमजोर बनी हुई है। इससे आय वृद्धि घट रही है और ब्याज दरें बढ़ रही हैं। (एजेंसी)

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