नई दिल्ली : राजनीतिक दलों के सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में लाए जाने पर सरकार के रुख का समर्थन करते हुए मंगलवार को एक संसदीय समिति ने कहा है कि राजनीतिक दल इस कानून के दायरे में नहीं लाए जा सकते। कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय विभाग की स्थायी समिति ने मंगलवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में सरकार की ओर से पेश किए गए आरटीआई कानून में संशोधन विधेयक का समर्थन किया है।
समिति के अध्यक्ष शांताराम नायक ने मंगलवार को जारी एक वक्तव्य में कहा है कि समिति सरकार के इस तर्क से सहमत है कि राजनीतिक दल सार्वजनिक प्राधिकार नहीं हैं क्योंकि न तो वे संविधान के जरिए या उसके तहत और न ही संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के अनुसार गठित या स्थापित किए गए होते हैं। उन्होंने कहा कि ये महज भारतीय जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत पंजिकृत/मान्यता प्राप्त होते हैं। (एजेंसी)
राजनीतिक दल
`आरटीआई के दायरे में नहीं आ सकते राजनीतिक दल`
राजनीतिक दलों के सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में लाए जाने पर सरकार के रुख का समर्थन करते हुए मंगलवार को एक संसदीय समिति ने कहा है कि राजनीतिक दल इस कानून के दायरे में नहीं लाए जा सकते।
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