जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट में संशोधन की तैयारी, कैबिनेट की बैठक आज

कैबिनेट की बुधवार को होने वाली वाली बैठक में जुनेवाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव पर मुहर लगाई जा सकती है। दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध में शामिल 16 साल से ज्यादा उम्र के किशोरों के खिलाफ बालिग की तरह मुकदमा चलाने की तैयारी की जा रही है।

जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट में संशोधन की तैयारी, कैबिनेट की बैठक आज

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली : कैबिनेट की बुधवार को होने वाली वाली बैठक में जुनेवाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव पर मुहर लगाई जा सकती है। दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध में शामिल 16 साल से ज्यादा उम्र के किशोरों के खिलाफ बालिग की तरह मुकदमा चलाने की तैयारी की जा रही है। बढ़ते यौन अपराध पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार ने ठोस पहल शुरू कर दी है। सरकार की कोशिश यह है कि अक्सर तमाम घटनाओं में आरोपियों के नाबालिग होने और कार्रवाई में फंसने वाले पेंच को दूर करना।

कैबिनेट की आज की बैठक में जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट में बदलाव संबंधी फैसले पर मुहर लग सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार जुवेनाइल यानी कि किशोर नाबालिग की परिभाषा को बदल सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो गंभीर अपराधों में शामिल 16 साल से ज्यादा के किशोर बालिग माने जाएंगे। कानून मंत्रालय पहले ही एक्ट में संशोधन को हरी झंडी दिखा चुका है। वहीं, आज संसद में भी जुवेनाइल जस्टिस एक्ट पर चर्चा हो सकती है।

दरअसल, जुवेनाइल एक्ट के तहत 18 वर्ष से कम के दोषियों को अधिकतम तीन साल के लिए सुधारगृह में भेजा जाता है। ऐसे मामलों में सजा तय करने का काम जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड करता है। बोर्ड के गाइडलाइंस के मुताबिक, 18 साल से कम के आरोपी को सजा नहीं दी जाती बल्कि उसका सुधार किया जाता है। लिहाजा सामूहिक दुष्कर्म के भी दोषी 3 साल सुधार गृह में रहने के बाद आजाद हो जाते हैं।

फिलहाल, कानून के मुताबिक 7 वर्ष से ऊपर के बच्चों के अपराध इस दायरे में आते हैं। लेकिन दिसंबर 2013 में दिल्ली के निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया और देश भर में इस एक्ट को बदलने की मांग उठी। देश की सबसे बड़ी अदालत की टिप्पणी के बाद ही सही, केंद्र सरकार ये सोचने को मजबूर हुई कि वाकई इस पर पहल करने की जरूरत है।

 

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