`रक्षा सौदों में घूसखोरी की जानकारी विदेशों से क्यों`
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`रक्षा सौदों में घूसखोरी की जानकारी विदेशों से क्यों`

भाजपा ने हाल में उजागर हुए कुछ रक्षा सौदों में कथित घूसखोरी के मामलों की जांच अदालत की निगरानी में कराने की आज मांग की और सरकार से सवाल किया कि उसे ऐसे भ्रष्ट आचरण की खबरें विदेशी एजेंसियों से ही क्यों मिलती हैं तथा उसका स्वयं का तंत्र इसमें सक्षम क्यों नहीं है।

नई दिल्ली : भाजपा ने हाल में उजागर हुए कुछ रक्षा सौदों में कथित घूसखोरी के मामलों की जांच अदालत की निगरानी में कराने की आज मांग की और सरकार से सवाल किया कि उसे ऐसे भ्रष्ट आचरण की खबरें विदेशी एजेंसियों से ही क्यों मिलती हैं तथा उसका स्वयं का तंत्र इसमें सक्षम क्यों नहीं है।
पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने यहां कहा कि रोल्स रॉयस विमान इंजन घोटाला, वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाला, टेट्रा ट्रक घोटाला, नौसेना वार रूम लीक घोटाला और बोफोर्स तोप घोटाला जैसे सारे मामले भारत सरकार के कारण उजागर नहीं हुए, बल्कि कुछ लोगों की सतर्कता और अनेक अन्य देशों में अधिक पारदर्शी व्यवस्था के चलते सामने आए।
उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि जब भारतीय रक्षा खरीद व्यवस्था में बिचौलियों, सलाहकारों या परामर्शदाताओं की इजाज़त नहीं है तो ऐसे लोग रक्षा सौदों में घुसपैठ कैसे बना लेते हैं और सरकार को उनकी भनक तबही क्यों पड़ती है जब भारत को सामान बेचने वाले देश उसकी सूचना देते है जबकि उन देशों को इससे नुकसान ही होता है, क्योंकि वह सौदा रद्द हो जाता है।
जावडेकर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन ने हमेशा से शुरू में घोटालों को छिपाने की कोशिश की और बाद में घोटाले होने से इंकार किया है। उसने जांच तभी कराई है जब परिस्थितियों के कारण वह फंस गई है और जांच में प्रगति तभी हुई है जब उस पर अदालत ने निगरानी रखी। अभी कल ही खबर आई है कि रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इन आरोपों की जांच का आदेश दिया है कि एक वैश्विक इंजन निर्माता कंपनी ने साल 2007 से 2011 के बीच भारतीय रक्षा अधिकारियों से सैन्य ठेका हासिल करने के लिए कथित रूप से 10 हजार करोड़ रपये से अधिक की रिश्वत दी है।
उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने बताया कि ये आरोप हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से हाल में प्राप्त पत्र के रूप में आए हैं जिसमें दावा किया गया कि एचएएल और अन्य संबद्ध विभागों में रिश्वत दी गई। (एजेंसी)

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