नई दिल्ली : सरकार को एक बार फिर शर्मिन्दगी में डालने वाले घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के टी थामस ने आज लोकपाल खोज समिति की अगुवाई करने से मना कर दिया। कुछ दिन पहले ही प्रख्यात न्यायविद फली नरीमन ने भी खुद को इस समिति से अलग कर लिया था।
थामस ने केरल के कोट्टयम से फोन बताया कि मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर लोकपाल चयन समिति का नेतृत्व करने में अपनी अनिच्छा जतायी है। उन्होंने कहा कि कारण है कि जब मैंने नियमों पर गौर किया तो हमारी समिति जिसे खोज समिति कहा गया है, को चयन समिति के लिए नामों की सिफारिश करना होगा। चयन समिति इन नामों को स्वीकार कर सकती है या अस्वीकार कर सकती है। लिहाजा इस खोज समिति के होने का ही कोई मूल्य नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि हाल में नरीमन द्वारा खोज समिति में शामिल होने से इंकार किये जाने ने क्या उनके निर्णय में कोई भूमिका निभायी है, थामस ने कहा कि इसका समान कारण नहीं है। थामस ने कहा कि वह (नरीमन का इंकार) नियमों पर इस बात का गौर करने के लिए एक बिन्दु बन गया कि क्या समिति में होना उपयुक्त होगा या नहीं। न्यायमूर्ति थामस उच्चतम न्यायालय में 29 मार्च 1996 से 1 जनवरी 2002 के बीच न्यायाधीश थे।
फली नरीमन ने भी हाल में लोकपाल खोज समिति का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया था। उन्होंने आशंका जतायी थी कि बहु स्तरीय प्रक्रिया में सर्वोत्तम लोगों की अनदेखी हो जायेगी। लोकपाल के अध्यक्ष एवं सदस्यों के चयन के लिए आठ सदस्यीय खोज समिति उन नामों का एक पैनल तैयार करेगी जिन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली चयन समिति विचार करेगी।
चयन समिति के सदस्यों में लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता, भारत के प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा मनोनीत उच्चतम न्यायालय का कोई न्यायाधीश एवं एक प्रख्यात न्यायविद होगा। न्यायविद को राष्ट्रपति या कोई अन्य सदस्य मनोनीत कर सकता है।
लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून 2013 के तहत केन्द्र स्तर पर एक लोकपाल एवं राज्यों में लोकायुक्त बनाये जाये। लोकपाल एवं लोकायुक्त सार्वजनिक शख्सियतों के खिलाफ भ्रष्टाचार आरोपों की जांच करेंगे। केन्द्र के पास लोकपाल का अध्यक्ष एवं सदस्य बनाने के लिए विभिन्न व्यक्तियों की ओर से कई नाम सुझाये गये हैं। (एजेंसी)