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नई दिल्ली : रक्षा मंत्री एके एंटनी ने गुरुवार को कहा कि भारत ने फ्रांस से 126 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सौदे को अंतिम रूप देने की अपनी योजना अगले वित्तीय वर्ष के लिए टाल दी है क्योंकि फिलहाल इसके लिए कुछ भी धन नहीं बचा है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अरबों रुपए के लडाकू विमान सौदे के उपयुक्त आपूर्तिकर्ता के चयन की प्रक्रिया को लेकर शिकायतों पर गौर कर रही है। इसे अब तक का सबसे बड़ा सौदा माना जा रहा है और इस पर 60,000 करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2014..15 में इस सौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस सौदे के लिए बातचीत जारी है।
एंटनी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘सरकार की वित्तीय हालत ठीक नहीं है और इसके लिए धन नहीं बचा है।’ उन्होंने कहा कि बजट भी खर्च हो चुका है। कई अन्य परियोजनाएं भी विचाराधीन हैं।
एंटनी ने कहा कि सरकार इस सौदे में आगे बढ़ रही है और यह सुनिश्चित करने में हर तरह से सावधानी बरत रही है कि ‘अब तक के इस सबसे बड़े सौदे’ में कहीं कोई चूक न हो।
रक्षा मंत्री ने कहा कि उनका विभाग आधुनिकीरण के लिए आवंटित अपने कोष का 92 प्रतिशत से अधिक हिस्सा खर्च कर चुका है और शेष धन के भी शीघ्र उपयोग हो जाने की उम्मीद है। एंटनी ने कहा कि पूरी परिचालन अवधि (एलसीसी) की लागत के आकलन की प्रक्रिया के बारे में शिकायतें हैं और अभी यह मुद्दा सुलझा नहीं है। सौदे को अंतिम मंजूरी के लिए सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति के समक्ष प्रस्तुत करने से पहले हम इस पहलू को निपटना चाहेंगे।’
उन्होंने उम्मीद जतायी कि करार को 2014-2015 में अंतिम रूप दिया जाएगा। फ्रांसीसी कंपनी ने इस सौदे के लिए सबसे कम बोली लगाई थी। पांच साल की लंबी प्रक्रिया के बाद भारत ने 126 लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांसीसी डासाल्ट एवियेशन का चयन किया किया है।
भारतीय रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार जो कंपनियां सेनाओं की विशिष्ट आवश्यकता और निर्धारित मानकों पर खरे साजो सामान को सबसे सबसे कम कीमत पर पेशकश करने को तैयार होती है उन्हें उसकी आपूर्ति का ठेका दिया जाता है। 126 लडाकू विमानों की खरीद के इस सौदे में सबसे कम बोली लगाने वाले के चयन पर एलसीसी (पूरे परिचालन काल तक की लागत) को ध्यान में रखा गया है। (एजेंसी)