ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सात मार्च को निर्धारित की है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और भाजपा को नोटिस जारी करने से इंकार करते हुए कहा कि यह केवल संवैधानिक मुद्दा है और हम इसे राजनीतिक प्रतिस्पर्धा नहीं बनने देना चाहते हैं।
आप ने दिल्ली में उप राज्यपाल नजीब जंग की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। आप का आरोप है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से कांग्रेस के नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बचाने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
पार्टी की दलील है कि बीते 16 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए दिया गया आदेश अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी के बाद भ्रष्टाचार के मामलों की जांच को विफल करने के मकसद से उठाया गया कदम है।
उसकी याचिका में कहा गया है, ‘‘यह फैसला न सिर्फ मनमाना और अवैध है तथा दिल्ली के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बल्कि दुर्भावनापूर्ण भी है।’’ इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन लगाने का आदेश अवैध, मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का हनन है क्योंकि अरविंद केजरीवाल सरकार के इस्तीफे के बाद न तो भाजपा और न ही कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में थे तथा इन्होंने सरकार बनाने को लेकर अनिच्छा जताई थी। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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दिल्ली में राष्ट्रपति शासन पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस
दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
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