सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का सीबीआई निदेशक का आग्रह ठुकराया

उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा के निवास में आने वाले आगंतुकों की सूची से संबंधित दस्तावेज के आधार पर मीडिया को खबरें प्रसारित और प्रकाशित करने से रोकने का सिन्हा का अनुरोध गुरुवार को ठुकरा दिया।

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा के निवास में आने वाले आगंतुकों की सूची से संबंधित दस्तावेज के आधार पर मीडिया को खबरें प्रसारित और प्रकाशित करने से रोकने का सिन्हा का अनुरोध गुरुवार को ठुकरा दिया।

न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि उसने इन दस्तावेजों का अवलोकन किया है। न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि हलफनामे के साथ इस सामग्री को पेश किया जाए। न्यायाधीशों ने कहा कि हमने इन दस्तावेज का अवलोकन किया है। इन्हें रिकार्ड में पेश किये जाने तक हम इनका संज्ञान नहीं ले सकते हैं।

इस मामले पर यथाशीघ्र सुनवाई के अनुरोध से सहमति व्यक्त करते हुये न्यायालय ने सोमवार को सामान्य दैनिक कार्य समय से आधा घंटा पहले दस बजे बैठने का निश्चय किया है। जांच ब्यूरो के निदेशक ने न्यायालय से कहा कि इस मामले से उनकी प्रतिष्ठा और निजता का अधिकार जुड़ा है। इसलिए न्यायालय को मीडिया पर अंकुश लगाना चाहिए। रंजीत सिन्हा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इन दस्तावेज की सत्यता और स्रोत का सवाल उठाया। जांच ब्यूरो के निदेशक ने उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को गलत बताते हुये कहा कि ऐसे सभी बयान ‘पूरी तरह असत्य’ हैं।

लेकिन न्यायालय ने इन दस्तावेज के आधार पर खबरें प्रसारित और प्रकाशित करने से मीडिया को रोकने से इंकार कर दिया। सीबीआई निदेशक के वकील ने यह सवाल भी उठाया कि न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में पेश करने के शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद ये दस्तावेज कैसे लीक हुये। विकास सिंह ने कहा कि न्यायालय को भूषण से इन दस्तावेज के स्रोत के बारे में पूछना चाहिए। गैर सरकारी संगठन द्वारा शीर्ष अदालत में सनसनीखेज खुलासा किये जाने के बाद से जांच ब्यूरो के निदेशक विवाद का केन्द्र बने हैं। इस संगठन ने न्यायालय से कहा था कि सिन्हा के घर का आंगतुक रजिस्टर ‘बहुत ही परेशान’ करने वाली तस्वीर पेश कर रहा है और इसकी ‘विस्फोटक सामग्री’ 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाला मामले में न्याय के प्रशासन में बाधक बन रही है।

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